राग श्याम कल्याण | अमजद अली खान
Amjad Ali Khan was born into a musical family and has performed internationally since the 1960s. He was awarded India's second highest civilian honor, the Padma Vibhushan, in 2001. This track is from one of the finest albums by the maestro. Trained in the dhrupad-oriented style of the Senia gharana, coming from the Tansen School of Music, Amjad Ali Khan has mastered in expressing a raga in spectrum of feelings and emotions.
अमजद अली खान का जन्म एक संगीत परिवार में हुआ था और उन्होंने 1960 के दशक से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन किया है। उन्हें 2001 में भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। यह ट्रैक उस्ताद के बेहतरीन एल्बमों में से एक है। तानसेन संगीत विद्यालय से आने वाले सेनिया घराने की ध्रुपद-उन्मुख शैली में प्रशिक्षित, अमजद अली खान ने भावनाओं और भावनाओं के स्पेक्ट्रम में एक राग व्यक्त करने में महारत हासिल की है।
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संबंधित राग परिचय
श्याम कल्याण
राग श्याम कल्याण बडा ही मीठा राग है। यह कल्याण और कामोद अंग (ग म प ग म रे सा) का मिश्रण है।
इस राग को गाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। गंधार आरोह मे वर्ज्य नही है, तब भी ग म् प नि सा' नही लेना चाहिये, बल्कि रे म् प नि सा' लेना चाहिये। गंधार को ग म प ग म रे साइस तरह आरोह में लिया जाता है। सामान्यतः इसका अवरोह सा' नि ध प म१ प ध प ; ग म प ग म रे सा इस तरह से लिया जाता है। अवरोह में कभी कभी निषाद को इस तरह से छोड़ा जाता है जैसे - प सा' सा' रे' सा' नि सा' ध ध प।
इस राग का निकटस्थ राग शुद्ध सारंग है, जिसके अवरोह में धैवत को कण स्वर के रूप में प्रयुक्त किया जाता है, जबकि श्याम कल्याण में धैवत दीर्घ है। इसी प्रकार श्याम कल्याण में गंधार की उपस्थिति इसे शुद्ध सारंग से अलग करती है। इसी तरह, अवरोह में, सा' नि ध प म् ग नही लेना चाहिये, बल्कि सा' नि ध प म् प ध प ; म् प ग म रे सा ऐसे लेना चाहिये। प सा' सा' रे' सा' लेने से राग का माहौल तुरंत बनता है। इसका निकटस्थ राग, राग शुद्ध सारंग है। यह स्वर संगति राग स्वरूप को स्पष्ट करती है -
सा ,नि सा रे म् प ; म् प ध प ; म् प नि सा' ; सा' रे' सा' नि ध प ; म् प ध प ; ग म रे ; ,नि सा रे सा ; प ध प प सा' सा' रे' सा' ; सा' रे' सा' ध प म् प ; रे म् प नि सा' ; नि सा' ध ध प ; सा' नि ध प ; म् प ग म प ; ग म रे ; रे ,नि सा;
थाट
राग जाति
गायन वादन समय
Tags
राग
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राग श्याम कल्याण
थाट कल्याण मानत गुनि जन, पस संवाद अनुप।
ओडव सम्पूरन प्रथम रात्रि,श्याम कल्याण स्वरुप।।
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राग श्याम कल्याण (न्यास के स्वर)
न्यास के स्वर– रे, प और नि।
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राग श्याम कल्याण (समप्रकृति राग)
समप्रकृति राग– शुद्ध सारंग और कामोद।
शुद्ध सारंग से बचने के लिए अवरोह में गंधार प्रयोग करते है और कामोद से बचने के लिए निषाद बढाते है और गंधार का लंघन करते है। कामोद में रे प स्वर समूह महत्वपूर्ण है, किन्तु इसमें यह संगति नहीं लेते, बल्कि रे म॑प और म रे प्रयोग करते है।
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राग श्याम कल्याण का परिचय
राग श्याम कल्याण का परिचय
वादी: प
संवादी: सा
थाट: KALYAN
आरोह: ऩिसारेम॓पनिसां
अवरोह: सांनिधपम॓ पधम॓प गमरेऩिसारे ऩिसा
पकड़: मरे ऩिसा रेऩिसा रेम॓प
रागांग: उत्तरांग
जाति: AUDAV-SAMPURN
समय: रात्रि का प्रथम प्रहर