बंगाल भैरव
अहिर भैरव राग है, भैरव थाट सुहाये।
रे नि कोमल प्रात समय, मस संवाद लुभाये।।
राग-बंगाल भैरव राग को भैरव थाट जन्य माना गया है। निषाद वर्ज्य होने से इसकी जाति षाडव है। धैवत और ऋषभ कोमल प्रयोग किये जाते हैं, जो क्रमशः वादी सम्वादी है। गायन समय प्रातःकाल है।
आरोह – सा रे ग म प ध सां।
अवरोह– सां ध प म ग म रे सा।
थाट – भैरव थाट
जाति – षाडव-षाडव
गायन समय – प्रातःकाल का प्रथम प्रहर है
वादी – संवादी – ध – रे
राग के अन्य नाम
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राग
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संबंधित राग परिचय
बंगाल भैरव
अहिर भैरव राग है, भैरव थाट सुहाये।
रे नि कोमल प्रात समय, मस संवाद लुभाये।।
राग-बंगाल भैरव राग को भैरव थाट जन्य माना गया है। निषाद वर्ज्य होने से इसकी जाति षाडव है। धैवत और ऋषभ कोमल प्रयोग किये जाते हैं, जो क्रमशः वादी सम्वादी है। गायन समय प्रातःकाल है।
आरोह – सा रे ग म प ध सां।
अवरोह– सां ध प म ग म रे सा।
थाट – भैरव थाट
जाति – षाडव-षाडव
गायन समय – प्रातःकाल का प्रथम प्रहर है
वादी – संवादी – ध – रे
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राग-बंगाल भैरव की विशेषता
1. यह प्रात कालीन संधिप्रकाश राग है।
2. यह ख्याल शैली का राग है।
3. अवरोह में गंधार वक्र प्रयोग किया जाता है।
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राग-बंगाल भैरव की विशेषता
1. यह प्रात कालीन संधिप्रकाश राग है।
2. यह ख्याल शैली का राग है।
3. अवरोह में गंधार वक्र प्रयोग किया जाता है।