मेरे ख्याल से | रोंकिनि गुप्ता | राग श्याम कल्याण
Indian Classical Music is rooted in nature and Ronkini Gupta, an artist best known for her pitch-perfect sweetness and her ability to mould her voice in any expression, presents the interpretation of this evening Raga, through this very famous bandish composed by Pandit Gyan Prakash Ghosh - Shyam Chaabi Mann Moh liyo.. followed by Saawan ki Saanjh, another bandish in Adhha theka.
भारतीय शास्त्रीय संगीत प्रकृति में निहित है और रोंकिनी गुप्ता, एक कलाकार जो अपनी पिच-परफेक्ट मिठास और किसी भी अभिव्यक्ति में अपनी आवाज को ढालने की क्षमता के लिए जानी जाती है, पंडित ज्ञान प्रकाश द्वारा रचित इस बहुत प्रसिद्ध बंदिश के माध्यम से इस शाम राग की व्याख्या प्रस्तुत करती है। घोष - श्याम छबी मन मोह लियो .. इसके बाद सावन की सांझ, आधा ठेका में एक और बंदिश।
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संबंधित राग परिचय
श्याम कल्याण
राग श्याम कल्याण बडा ही मीठा राग है। यह कल्याण और कामोद अंग (ग म प ग म रे सा) का मिश्रण है।
इस राग को गाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। गंधार आरोह मे वर्ज्य नही है, तब भी ग म् प नि सा' नही लेना चाहिये, बल्कि रे म् प नि सा' लेना चाहिये। गंधार को ग म प ग म रे साइस तरह आरोह में लिया जाता है। सामान्यतः इसका अवरोह सा' नि ध प म१ प ध प ; ग म प ग म रे सा इस तरह से लिया जाता है। अवरोह में कभी कभी निषाद को इस तरह से छोड़ा जाता है जैसे - प सा' सा' रे' सा' नि सा' ध ध प।
इस राग का निकटस्थ राग शुद्ध सारंग है, जिसके अवरोह में धैवत को कण स्वर के रूप में प्रयुक्त किया जाता है, जबकि श्याम कल्याण में धैवत दीर्घ है। इसी प्रकार श्याम कल्याण में गंधार की उपस्थिति इसे शुद्ध सारंग से अलग करती है। इसी तरह, अवरोह में, सा' नि ध प म् ग नही लेना चाहिये, बल्कि सा' नि ध प म् प ध प ; म् प ग म रे सा ऐसे लेना चाहिये। प सा' सा' रे' सा' लेने से राग का माहौल तुरंत बनता है। इसका निकटस्थ राग, राग शुद्ध सारंग है। यह स्वर संगति राग स्वरूप को स्पष्ट करती है -
सा ,नि सा रे म् प ; म् प ध प ; म् प नि सा' ; सा' रे' सा' नि ध प ; म् प ध प ; ग म रे ; ,नि सा रे सा ; प ध प प सा' सा' रे' सा' ; सा' रे' सा' ध प म् प ; रे म् प नि सा' ; नि सा' ध ध प ; सा' नि ध प ; म् प ग म प ; ग म रे ; रे ,नि सा;
थाट
राग जाति
गायन वादन समय
Tags
राग
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राग श्याम कल्याण
थाट कल्याण मानत गुनि जन, पस संवाद अनुप।
ओडव सम्पूरन प्रथम रात्रि,श्याम कल्याण स्वरुप।।
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राग श्याम कल्याण (न्यास के स्वर)
न्यास के स्वर– रे, प और नि।
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राग श्याम कल्याण (समप्रकृति राग)
समप्रकृति राग– शुद्ध सारंग और कामोद।
शुद्ध सारंग से बचने के लिए अवरोह में गंधार प्रयोग करते है और कामोद से बचने के लिए निषाद बढाते है और गंधार का लंघन करते है। कामोद में रे प स्वर समूह महत्वपूर्ण है, किन्तु इसमें यह संगति नहीं लेते, बल्कि रे म॑प और म रे प्रयोग करते है।
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राग श्याम कल्याण का परिचय
राग श्याम कल्याण का परिचय
वादी: प
संवादी: सा
थाट: KALYAN
आरोह: ऩिसारेम॓पनिसां
अवरोह: सांनिधपम॓ पधम॓प गमरेऩिसारे ऩिसा
पकड़: मरे ऩिसा रेऩिसा रेम॓प
रागांग: उत्तरांग
जाति: AUDAV-SAMPURN
समय: रात्रि का प्रथम प्रहर