अडाना
राग अडाना के आरोह में गंधार वर्ज्य होने के कारण यह राग दरबारी कान्हड़ा से अलग दिखता है। राग अडाना विशेष कर मध्य और तार सप्तक में खिलता है। इस राग में गंधार और धैवत पर आंदोलन नहीं किया जाता। और इसी तरह गमक और मींड का भी उपयोग नहीं किया जाता इसीलिए इस राग की प्रकृति में चंचलता है।
आरोह में गंधार वर्ज्य है परन्तु अवरोह में ग१ म रे सा लिया जाता है जो की कान्हड़ा अंग का सूचक है। कभी-कभी अवरोह की तान लेते समय धैवत को छोड़ा जाता है जिससे सारंग अंग का आभास होता है जैसे - सा' नि१ प म ग१ म रे सा। इस राग में आरोह का कोमल निषाद थोड़ा चढ़ा हुआ लगता है। यह स्वर संगतियाँ अडाना राग का रूप दर्शाती हैं -
थाट
राग जाति
गायन वादन समय
Tags
राग
- Log in to post comments
- 5292 views
संबंधित राग परिचय
अडाना
राग अडाना के आरोह में गंधार वर्ज्य होने के कारण यह राग दरबारी कान्हड़ा से अलग दिखता है। राग अडाना विशेष कर मध्य और तार सप्तक में खिलता है। इस राग में गंधार और धैवत पर आंदोलन नहीं किया जाता। और इसी तरह गमक और मींड का भी उपयोग नहीं किया जाता इसीलिए इस राग की प्रकृति में चंचलता है।
आरोह में गंधार वर्ज्य है परन्तु अवरोह में ग१ म रे सा लिया जाता है जो की कान्हड़ा अंग का सूचक है। कभी-कभी अवरोह की तान लेते समय धैवत को छोड़ा जाता है जिससे सारंग अंग का आभास होता है जैसे - सा' नि१ प म ग१ म रे सा। इस राग में आरोह का कोमल निषाद थोड़ा चढ़ा हुआ लगता है। यह स्वर संगतियाँ अडाना राग का रूप दर्शाती हैं -
थाट
राग जाति
गायन वादन समय
Tags
राग
- Log in to post comments
- 5292 views