रूपक ताल
रूपक ताल 7 मात्रा की ताल होती हैं, जिसमे 3 विभाग पहले विभाग में 3 मात्रा तथा 2 व 3 विभाग में 2-2 मात्रा होती हैं, 1, 4 व 6 पर ताली
इसके बोल -
ती ती ना | धी ना | धी ना |
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रूपक ताल 7 मात्रा की होती है. यह गीतों भजनों ख्यालों ग़ज़लों इत्यादि के साथ बजाई जाती है. संगीत के विद्यार्थियों के लिए इसे सीखना अनिवार्य है. इस ताल के तीन विभाग हैं. पहला भाग तीन मात्रा का है. दूसरा और तीसरा विभाग 2 -2 मात्राओं का है. इस ताल की पहली मात्रा को खाली से दिखाते हैं. दूसरी ताली चौथी मात्रा पर और तीसरी ताली छठी मात्रा पर लगाई जाती है. कुछ लोग पहली मात्रा में ताली बजाकर सम दिखाने के पक्ष में रहते हैं क्योंकि हर ताल की पहली मात्रा सम होती है और उस पर ताली बजाई जाती है. लेकिन पहली मात्रा में खाली दिखाकर शुरू करना ज्यादा प्रचलन में है. इस मात्रा की ताल पर आधारित गानों में ठहराव और मधुरता के गुण पाए जाते हैं. इस ताल को मध्य लय में बजाते हैं. भारत में पहले इस ताल में बहुत काम हुआ है और अनेकों फ़िल्मी गीत बने हैं. परन्तु आजकल इस ताल पर कम ही गाने बनते हैं.
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ती ती ना | धी ना | धी ना |
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ती ती ना | धी ना | धी ना |
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इसी ताल के प्रकार का द्रुत वादन अफगानी गानों में देखा गया है.
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धिं - ना | धिं - | ना - |
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रुपक ताल का दुगुन
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तीती नाधी नाधी | नाती तीना | धीना धीना |
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तीती नाधी नाधी | नाती तीना | धीना धीना |
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