राग शुद्ध कल्याण
Rageshree
यह बहुत ही मधुर राग है। संगीत शास्त्रों के अनुसार राग रागेश्री में निषाद शुद्ध और निषाद कोमल का प्रयोग बताया गया है। परन्तु वर्तमान में इस राग में सिर्फ कोमल निषाद ही उपयोग में लाया जाता है। और शुद्ध निषाद का प्रयोग बहुत ही अल्प रूप में दिखाई देता है।
- Read more about Rageshree
- Log in to post comments
- 3635 views
Shyam Kalyan
राग श्याम कल्याण बडा ही मीठा राग है। यह कल्याण और कामोद अंग (ग म प ग म रे सा) का मिश्रण है।
इस राग को गाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। गंधार आरोह मे वर्ज्य नही है, तब भी ग म् प नि सा' नही लेना चाहिये, बल्कि रे म् प नि सा' लेना चाहिये। गंधार को ग म प ग म रे साइस तरह आरोह में लिया जाता है। सामान्यतः इसका अवरोह सा' नि ध प म१ प ध प ; ग म प ग म रे सा इस तरह से लिया जाता है। अवरोह में कभी कभी निषाद को इस तरह से छोड़ा जाता है जैसे - प सा' सा' रे' सा' नि सा' ध ध प।
- Read more about Shyam Kalyan
- Log in to post comments
- 7459 views
Shuddha Sarang
दिन के रागों में राग शुद्ध सारंग एक बहुत ही प्रभावशाली राग है जो की श्रोताओं पर गहरा प्रभाव डालता है। अवरोह में दोनों मध्यम लगाते हुए रिषभ पर आया जाता है (म् म रे) जिससे यह राग स्पष्ट रूप से सामने आता है। इसी प्रकार सा ; ,नि ,ध सा ,नि रे सा यह राग वाचक स्वर संगती है। सामान्यतया इस राग का आरोह सा रे म१ प नि सा है परन्तु कभी कभी म् प ध नि सा इस तरह से भी लिया जाता है। इसीलिए इस राग की जाती षाढव - षाढव ही मानना उचित है। अवरोह में धैवत पर न्यास नहीं किया जाता परन्तु निषाद से पंचम मींड लेते हुए इसका प्रयोग किया जाता है जैसे -
- Read more about Shuddha Sarang
- Log in to post comments
- 9322 views