बनारस घराना

हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के प्रसिद्ध घरानों में गिना जाता है। शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में इस घराने का बहुत ही महत्त्वपूर्ण योगदान है। उत्तर प्रदेश का बनारस घराना जयपुर घराने के समकालीन माना जाता है। इस घराने में गति व श्रंगारिकता के स्थान पर प्राचीन व प्रारंभिक शैली पर अधिक जोर दिया गया। बनारस घराने के नाम पर प्रख्यात नृत्यगुरु सितारा देवी के पश्चात् उनकी पुत्री कथक क्वीन जयंतीमाला ने इसके वैभव और छवि को बरकरार रखने का प्रयास किया है एवं गुरु-शिष्य परम्परा को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं।

किराना घराना

किराना घराना भारतीय शास्त्रीय संगीत और गायन की हिंदुस्तानी ख़याल गायकी की परंपरा को वहन करने वाले हिंदुस्तानी घरानों में से एक है। किराना घराने का नामकरण उत्तर प्रदेश के प्रबुद्ध नगर ज़िले के एक तहसील क़स्बा किराना से हुआ माना जाता है। यह उस्ताद अब्दुल करीम खाँ का जन्म स्थान भी है, जो बीसवीं सदी में किराना शैली के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भारतीय

संगीतज्ञ थे।

संस्थापक

अब्दुल करीम खाँ और अब्दुल वाहिद खान

प्रतिपादक

सवाई गंधर्व

सुरेशबाबू माने

प्रभा अत्रे

हीराबाई बादोडकर की शिष्या

माणिक वर्मा

सुरेशबाबू माने

आगरा घराना

आगरा घराना हिंदुस्तानी संगीत के प्रसिद्ध घरानों में से एक है। आगरा घराने के जन्मदाता तानसेन के दामाद हाजी सुजान साहब थे। आगरा घराने में जिन्होंने पूरे देश में ख्याति प्राप्त की उनका नाम था उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ। फ़ैयाज़ खाँ की आवाज़ बहुत दमदार थी और ये महफिल में अपना अनोखा रंग जमा देते थे।

विशेषता

1. नोम-तोम में आलाप करना

2. खुली जोरदार आवाज़ में गाना

3. लय ताल पर विशेष जोर।

संस्थापक

हाजी सुजान खान और उस्ताद घग्घे खुदा बख्श

प्रतिपादक

फ़ैयाज़ खान

लताफ़त हुसैन खान

दिनकर काकिनी

ग्वालियर घराना

ग्वालियर घराना हिंदुस्तानी संगीत का सबसे प्राचीन

घराना है। हस्सू खाँ, हद्दू खाँ के दादा उस्ताद नत्थन पीरबख्श को इस घराने का जन्मदाता कहा जाता है।

कुल्लियात

कुल्लियात (उर्दू: کلیات‎‎) शायरी में किसी शायर की रचनाओं के संग्रह को कहते हैं। मसलन ग़ालिब की ग़ज़लों और नज्मों के संकलन को 'कुल्लियात-ए-ग़ालिब' कहा जाता है। यह शब्द 'कुल' से आया है, यानि शायर का 'कुल' काम इस संग्रह में मौजूद होना चाहिए, लेकिन वास्तव में अगर शायर की कुछ-बहुत रचनाएँ भी उसमें सम्मिलित हों तो उसे कुल्लियात ही कहा जाएगा।

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

राग परिचय