थबल चौंगबा नृत्य
लोक नृत्य में थबल चोंगबा मणिपुर का एक लोकप्रिय मणिपुरी नृत्य है, जो होली के त्योहार के साथ संबंधित है। थबल का शब्दिक अर्थ है 'चंद्रमा की रोशनी' और चोंगबा का अर्थ है 'नृत्य', इस प्रकार इसका पूरा अर्थ है चंद्रमा की रोशनी में नृत्य करना। पारम्परिक रूप से पुरानी विचारधारा वाले मणिपुरी अभिभावक अपनी बेटियों को उनकी स्वीकृति के बिना बाहर जाने और युवाओं से मिलने की अनुमति नहीं देते थे। इस लिए थबल चोंगबा ने लड़कियों को लड़कों से मिलने और बाते करने का एक मात्र अवसर दिया जाता है। पुराने समय में यह नृत्य लोक गीतों के साथ चंद्रमा की रोशनी में किया जाता था। इसमें उपयोग किया जाने वाला एक मात्र संगी
- Read more about थबल चौंगबा नृत्य
- Log in to post comments
- 36 views
दिंडी नृत्य
ज्ञानेश्वर , तुकाराम , नामदेव आदि पंढरपुर में विठ्ठल के मंदिर में अपने सहयोगियों के साथ जाने के लिए इस्तेमाल करते थे। ध्वज, चिह्न, आदि उनके हाथों में थे। इस जुलूस को दिंडी कहा जाता था ।
- Read more about दिंडी नृत्य
- Log in to post comments
- 21 views
दिवारी नृत्य
दिवारी मध्य प्रदेश का परिद्ध लोक नृत्य है।
बुन्देलखण्ड की मिट्टी में अभी भी पुरातन परम्पराओं की महक रची बसी है। बुन्देलखण्ड की दिवारी समूचे देश में अनूठी है। इसमें गोवंश की सुरक्षा, संरक्षण, संवद्धन, पालन के संकल्प का इस दिन कठिन ब्रत लिया जाता है।
- Read more about दिवारी नृत्य
- Log in to post comments
- 68 views
देवरत्तनम नृत्य
देवरत्तम विशुद्ध रूप से लोक नृत्य है, जिसे अब तक तमिलनाडु के मदुरई ज़िले के कोडानगपट्टी के वीरापंड्या काटाबोम्मन राजवंश के वंशजों द्वारा बचाए रखा गया है।
- Read more about देवरत्तनम नृत्य
- Log in to post comments
- 10 views
धेबिया नृत्य
धेबिया नृत्य बिहार राज्य के भोजपुर क्षेत्र में धेबी समाज में प्रचलित है। यह लोक नृत्य श्रृंगार प्रधान गीतों से भरा होता है। धेबी समाज में यह सामूहिक नृत्य घर परिवार में मांगलिक अवसरों पर किया जाता है।
- Read more about धेबिया नृत्य
- Log in to post comments
- 15 views
राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।