पंथी नृत्य
गुरु घासीदास के पंथ के लिए माघ माह की पूर्णिमा अति महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन सतनामी अपने गुरु की जन्म तिथि के अवसर पर ‘जैतखाम’ की स्थापना कर ‘पंथी नृत्य’ में मग्न हो जाते हैं। यह द्रुत गति का नृत्य है, जिसमें नर्तक अपना शारीरिक कौशल और चपलता प्रदर्शित करते हैं। सफ़ेद रंग की धोती, कमरबन्द तथा घुंघरू पहने नर्तक मृदंग एवं झांझ की लय पर आंगिक चेष्टाएँ करते हुए मंत्र-मुग्ध प्रतीत होते हैं।
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पण्डवानी नृत्य
पण्डवानी नृत्य भारत में प्रचलित कुछ प्रमुख लोक नृत्य शैलियों में से एक है। यह नृत्य छत्तीसगढ़ क्षेत्र में प्रचलित एकल लोक नृत्य है, जिसका प्रस्तुतीकरण समवेत स्वरों में होता है।
इसमें आंगिक क्रियाओं के साथ-साथ गायन भी एक ही व्यक्ति द्वारा एकतारा लेकर किया जाता है।इसमें नर्तक पाण्डवों की कथा को वाद्ययंत्रों की धुन पर गाता जाता है तथा उनका अभिनय भी करता जाता है।वर्तमान समय में यह काफ़ी लोकप्रिय नृत्य शैली है।इसके प्रमुख कलाकारों में झाडूराम देवांगन, तीजनबाई तथा ऋतु वर्मा के नाम काफ़ी प्रसिद्ध हैं।
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पनिहारी नृत्य
पनिहारी राजस्थान का परिद्ध लोक नृत्य है।
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पावरा नृत्य
पावरा नृत्य महाराष्ट्र के लोक नृत्यों में से एक है। यह नृत्य मुख्य रूप से महाराष्ट्र के केन्द्रीय ज़िले धुलिया के आदिवासियों द्वारा किया जाता है। इस नृत्य में प्लेटों पर डंडियों के वादन से धुन निकाली जाती है। इसके अलावा ढोल का प्रयोग भी इस नृत्य में किया जाता है।
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बधाई नृत्य
बधाई नृत्य मध्य प्रदेश के बुन्देलखण्ड अंचल का प्रसिद्ध लोक नृत्य है। पुरुष एवं महिलाओं द्वारा किया जाने वाला यह नृत्य पुत्र जन्म और विवाह आदि के मांगलिक अवसरों पर शीतला माता की आराधना में किया जाता है।
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राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।