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महाराष्ट्र

गंढार नृत्य

गंढार नृत्य विदर्भ क्षेत्र का एक लोकप्रिय नृत्य है। इस क्षेत्र में रहने वाले अधिकांश लोगों का व्यवसाय कृषि है। खेतों में जब फ़सल कट जाती है और घर अनाज से भर जाते हैं, तब किसान अपनी खुशी का इजहार करने के लिए 'पोला' त्यौहार मनाते हैं। इस त्योहार के दौरान ही गंढार नृत्य किया जाता है।

तरफा नृत्य

तरफा नृत्य महाराष्ट्र राज्य के उत्तरी-पश्चिमी क्षेत्र में पहाड़ी इलाकों में कोकना जनजाति द्वारा किया जाता है। यह नृत्य एक लोकप्रिय आदिवासी नृत्य है। इसमें सूखे हुए करेले से बनी हुई बीन की धुन पर नर्तक एक दूसरे की कमर पर हाथ रखकर नृत्य करते हैं।

धनगरी गजा नृत्य

धनगरी गजा नृत्य महाराष्ट्र के प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है। यह नृत्य शोलापुर ज़िले की गडरिया जाति के लोगों द्वारा किया जाता है, जिन्हें 'धनगर' कहते हैं। धनगर लोग जीविकोपार्जन हेतु भेड़-बकरियाँ आदि पालते हैं और उनका दूध बेचते हैं। हरे-भरे चरागाहों में अपने पशुओं के झुण्ड को लेकर घुमन्तु जीवन जीने वाले ये लोग अपने इष्ट देवता 'बिरूआ' के जन्म की गाथा गाते हुए नृत्य करते हैं।

कोली नृत्य

कोली नृत्य महाराष्ट्र के प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है। जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है, यह नृत्य कोली जाति के मछुआरों द्वारा किया जाता है। इन लोगों की रंग बिरंगी पोशाक, खुशमिज़ाज, व्यक्तित्व और विशिष्ट पहचान उनके नृत्य में भी झलकती है। महिलाएँ और पुरुष दोनों ही इस नृत्य में भाग लेते हैं। इस नृत्य में पुरुष और महिलाएँ दो समूहों में या जोड़ों में बंट कर नृत्य करते हैं।

दिंडी नृत्य

ज्ञानेश्वर , तुकाराम , नामदेव आदि पंढरपुर में विठ्ठल के मंदिर में अपने सहयोगियों के साथ जाने के लिए इस्तेमाल करते थे। ध्वज, चिह्न, आदि उनके हाथों में थे। इस जुलूस को दिंडी कहा जाता था ।

पावरा नृत्य

पावरा नृत्य महाराष्ट्र के लोक नृत्यों में से एक है। यह नृत्य मुख्य रूप से महाराष्ट्र के केन्द्रीय ज़िले धुलिया के आदिवासियों द्वारा किया जाता है। इस नृत्य में प्लेटों पर डंडियों के वादन से धुन निकाली जाती है। इसके अलावा ढोल का प्रयोग भी इस नृत्य में किया जाता है।

लावणी

लावणी महाराष्ट्र राज्य की लोक नाट्य-शैली तमाशा का अभिन्न अंग है। आज इसे महाराष्ट्र के सबसे लोकप्रिय और प्रसिद्ध लोक नृत्य शैली के रूप में जाना जाता है। लावणी नृत्य की विषय-वस्तु कहीं से भी ली जा सकती है, लेकिन वीरता, प्रेम, भक्ति और दु:ख जैसी भावनाओं को प्रदर्शित करने के लिए यह शैली उपयुक्त है। संगीत, कविता, नृत्य और नाट्य सभी मिलकर लावणी बनाते हैं। इनका सम्मिश्रण इतना बारीक होता है कि इनको अलग कर पाना लगभग असम्भव है शब्द-साधन

लेजिम नृत्य

लेजिम नृत्य महाराष्ट्र में किया जाने वाला लोक नृत्य है। सामाजिक एवं धार्मिक उत्सवों पर सम्पादित होने वाला यह नृत्य महाराष्ट्र की युद्ध कला पर आधारित नृत्यों में प्रमुख है।

सोंगी मुखौटा नृत्य

सोंगी मुखौटा नृत्य हाथ में छोटी डंडियॉं लेकर किया जाता है। सोंगी मुखौटा नृत्य चैत्र मास की पूर्णिमा पर देवी की पूजा के साथ महाराष्ट्र में किया जाता है। इस नृत्य में दो कलाकार नरसिंह रूप धारण कर नृत्य करते हैं। महाराष्ट्र में होली के बाद यह उत्सव मनाया जाता है।

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