कोथू नृत्य

कोथू नृत्य केरल के प्रमुख शास्त्रीय नृत्यों में से एक है। इस नृत्य का मंचन 'चकयार' जाति के पेशेवर कलाकारों द्वारा 'कोथामबम मंदिर' में किया जाता है। यह केरल की सबसें पुरानी एवं अजीब नाटकीय कला है। 

कृष्णाट्टम नृत्य

कृष्णाट्टम नृत्य अथवा 'कृष्णाअट्टम नृत्य' केरल की एक शास्त्रीय नृत्य नाटिका शैली है। इसमें कृष्ण की पूरी कहानी एक नाटक चक्र में दिखाई जाती है, जिसके निर्माण में आठ रातें लगती हैं। इस नृत्य शैली में भगवान कृष्ण के सम्पूर्ण चरित्र का वर्णन किया जाता है। 

कूडियाट्टम नृत्य

कूडियाट्टम नृत्य या 'कोडियाट्टम नृत्य' भारत में प्रचलित कुछ प्रमुख शास्त्रीय नृत्य शैलियों में से एक है। यह लम्बे समय तक चलने वाली नृत्यनाटिका है।

कुट्टीअट्टम

इतिहास राजा कुल शेखर वर्मन ने 10वीं शताब्‍दी में कुटियाट्टम में सुधार किया और रूप संस्‍कृत में प्रदर्शन की परम्‍परा को जारी रखे हुए है।प्राकृत भाषा और मलयालम अपने प्राचीन रूपों में इस माध्‍यम को जीवित रखे हैं। इस भण्‍डार में भास, हर्ष और महेन्‍द्र विक्रम पल्‍लव द्वारा दिखे गए नाटक शामिल हैं।
कुट्टीअट्टम अथवा कुटियाट्टम (अंग्रेज़ी: Kuttiyattam) केरल के शास्‍त्रीय रंगमंच का अद्वितीय रूप है जो अत्‍यंत मनमोहक है। यह‍ 2000 वर्ष पहले के समय से किया जाता था और यह संस्कृत के नाटकों का अभिनय है और यह भारत का सबसे पुराना रंगमंच है, जिसे निरंतर प्रदर्शित किया जाता है।  

अहीरों का नाच

अहीरों का नाच (फरुवाही): अहीर स्वयं में एक संस्कृति है। यह वीरों की संस्कृति है। लोरिकी, बिरहा, गड़थैया, कुर्री-फुर्री-कलैया, मानो जैसे कि वे पेट से ही सीख कर आते हैं। परन्तु ऐसा माना जाता है कि अहीर 'उज़बक' होते है और उनकी पत्नियां बुद्धिमती होती हैं। पुरुष डोर, चौरासी, शहनाई, घुँघरू पहनकर हाथ में धुधुकी लेकर धोती कुरता पहनकर सिर पर पगड़ी बांधकर उछाल कूद करते हुए गीत की पंक्तियाँ टेरते हैं। ये बीच- बीच में 'हा- हा', 'हू-हू' की आवाज़ करते हैं। कलैया मरते हैं। नाचते समय ये 'लोरकी गाथा' की पंक्तियाँ अथवा 'बिरहा' की पंक्तियाँ दुहराते हैं।

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

राग परिचय