झूमर नाच
विवाह, गवना, यज्ञोपवीत, मुंडन, अन्नप्राशन आदि संस्कारों तथा दीपावली, दशहरा, अनंत चतुर्दशी के अवसरों पर महिलाएं हाथ में हाथ मिलाकर वृत्त या अर्धवृत्त बनाकर झूमर नाचती और गाती हैं। टेक की बार- बार आवृति तथा द्रुतगति और लय के आरोह- अवरोह के साथ गाकर नाच जाने वाला यह नृत्य पूर्वांचल की एक प्रमुख नृत्य है। आदिवासी महिलाएं 'कछाड़' मार कर अपने वन्य वेश -भूषा में जब झूमकर नाचने लगती समां बंध जाता है। यदा -कदा थपोरी भी बजाती हैं। महुआ बीनने, पत्ता तोड़ने, गोदना गोदने का कार्य के साथ अभिनय करती हैं। इसे धांगर, धरकार, घसिया, गोड जाति की महिलाएं बीया गडनी के अवसर पर विशेष उत्साह के साथ किसी नदी या ताला
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झिझिया नृत्य
झिझिया मिथिलांचल का एक प्रमुख लोक नृत्य है। दुर्गा पूजा के मौके पर इस नृत्य में लड़कियां बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती है। मिथिलांचल के इस नृत्य में कुवारीं लड़कियां अपने सिर पर जलते दिए एवं छिद्र वाली घड़ा को लेकर नाचती हैं।
झिझिया नृत्य बिहार का लोक नृत्य है, जिसका आयोजन दुर्गा पूजा के अवसर पर किया जाता है। पूर्णतः महिलाओं के इस लोक नृत्य में ग्राम की महिलाएँ अपनी सखी-सहेलियों के साथ एक घेरा बनाकर नृत्य करती हैं।
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झरनी नृत्य
झरनी नृत्य बिहार के प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है। यह नृत्य बिहार के मुस्लिमों में बहुत लोकप्रिय है। इस नृत्य का आयोजन मुहर्रम के अवसर पर होता है।
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झमाकड़ा नृत्य
लोक नृत्य. झमाकड़ा नृत्य: झमाकड़ा नृत्य काँगड़ा क्षेत्र में किया जाने वाला नृत्य है| इस नृत्य का प्रचलन जिस समय बारात वधू के द्वार पर आ पहुंचती है, उस समय ग्राम्य वधुएँ नए वस्त्र धारण कर बारात की आगवानी करती हैं, उन्हें मीठी-मीठी गाली गलौज भी करती हैं | हास्य-व्यंग्य द्वारा बारातियों को संबोधित किया जाता है | झमाकड़ा नृत्य करते समय पारंपरिक पहनावे में घाघरी कुर्त्ता धारण किया जाता है | सिर पर चांदी का चाक, गले में कंठहार तथा चन्द्रहार, नाक में नथनी, पैरों में पाजेब धारण
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ढोलु कुनिथा नृत्य
ढोलु कुनिथा नृत्य कर्नाटक के प्रमुख नृत्यों में से एक है। ढोल वाद्यों पर आधारित कर्नाटक का यह लोक नृत्य कोरका नामक गडरिया समुदाय के पुरुषों द्वारा किया जाता है। नृत्य करने वाले प्रत्येक नर्तक की कमर में एक बड़ा-सा ढोल बंधा होता है।
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राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।