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- (1299-1411) 92 यहां इन्होंने रहकर पहले शंकर वेदान्त का. इसके बाद इन्होंने स्वामी राघवानंद जी से विशिष्टाद्वैत की शिक्षा. इसके बाद तीर्थयात्रा पर निकल. , संत रामानंद ने जातिप्रथा सहित अन्य सामाजिक बुराईयों के खिलाफ. गोहत्या प्रतिबंध भी इन्ही के द्वारा कराया. काशी में इनका निवास स्थान पंचगंगा घाट. जहां इन्होंने श्रीमठ का निर्माण.

- (1398-1518 ई 0) कहा जाता है कि रामानंद जी के आशीर्वाद से एक. - एक अन्य कथा के अनुसार कबीर का जन्म जुलाहे के यहां. कबीर रामानंद के शिष्य. कबीर ने रामानंद की उपासना के पांच सिद्धांतों स्थान. कबीर भी सामाजिक कुप्रथाओं के धुर विरोधी. कबीरदास का महाप्रयाण मगहर के निकट हुआ.

- (1607-1887 ई 0) 40 1737 0 यहां पहले अस्सी घाट पर रहे फिर हनुमान घाट स्थित. इनका कई और नाम भी. जिसमें चर्चित रूप से मृत्युंजय महादेव और विश्वनाथ प्रमुख. तैलंगस्वामी ने कई चमत्कार भी किये. हाथ पैर बंधे होने पर भी वे तैरकर गंगा पार कर. जबर्दस्त ठंड पड़ने पर ये जलमग्न रहते और भीषण गर्मी. 1807 280

- (1820-1899 ई 0) इनका जन्म कर्नाटक के गुलबर्गा के पास. 1850 0 यहां दशाश्वमेध घाट पर वाले श्री गौड़ स्वामी नाम. इन्हीं की प्रेरणा से जम्मू कश्मीर के राजा प्रताप नरेश. इन्हेंने कई ग्रन्थों की भी रचना की जिनमें 'कपिल गीता' की व्याख्या बहुत.

- (1907-1982 ई 0) करपात्री जी सरयूपारी ब्राह्मण. बचपन से ही इनका मन वैराग्य की तरफ लग गया. - इन्हे स्थिर करने के लिए इनके पिता ने इनका विवाह. जिसके बाद इनके यहां एक लड़की का भी जन्म. 1926 काशी में समेरूपीठ का सुधार इन्होंने ही. इन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर में हरिजन प्रवेश का विरोध. 1954

- (1910-1990 ई 0) इन्होंने बचपन का नाम जनार्दन दुबे. 16 , देवरहवा नाम देवरा जंगल में रहने के. ये काशी में अस्सी घाट पर एक पेड़ के शिखर. इनके सभी धर्मों के लोग शिष्य.

श्यामा चरन - हमारे वेद शास्त्रों जीवन दर्शन गूण गूण. ज्ञान के इन हमारे मनिषियों ने. इस कार्य के लिए महात्माओं और योगियों के लिए सबसे स्थान. धर्म की इस राजधानी में संतों ने अपनी साधना शास्त्र. जिसके अध्ययन और उसके पालन से हम अपने जीवन को बना. ऐसे ही एक संत हुए श्यामा चरण. श्यामा चरण लाहिड़ी क्रियायोग के मर्मज्ञ. वैसे तो क्रिया योग ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यन्त प्राचीन. इसका वर्णन पतंजलि के योगसूत्र में पाया. साथ ही गीता में भी इसका उल्लेख. लेकिन क्रियायोग को-जन तक पहुंचाने और सरल करने. श्यामा चरण लाहिड़ी मूल रूप से बंगाली. 1828 इनके बचपन में एक बार जबर्दस्त बाढ़. इस भीषण बाढ़ में लाहिड़ी का घर. इनके परिवार के सामने रोजी रोटी की परेशानी खड़ी हो. इनके पिता पूरे परिवार के साथ व्यापार के लिए काशी. 12 काशी में श्यामा चरण लाहिड़ी ने शिक्षा लेने के बाद. इस दौरान इनका बाबा जी से सम्पर्क हुआ जो कि इनके. बाबा जी को क्रिया योग का अच्छा. अपने गुरू के सानिध्य में रहकर श्यामा चरण लाहिड़ी किया प्रचारित प्रचारित-प्रसारित. लाहिड़ीजी के अनुसार की करने वाले. लाहिड़ी जी का नाम विश्व में सत्य की पुस्तक पुस्तक "ऑटो-योगी". यह पुस्तक विभिन्न भाषाओं में. - മാർച്ച് 22, जहां से वे विधिवत अपने शिष्यों को क्रियायोग की शिक्षा. बाद में लाहिड़ी जी बाद उनके पुत्र तिनकौड़ी उनके. वर्तमान में शिवेन्द्रु लाहिड़ी क्रियायोग की शिक्षा देश ही नहीं. वहीं, यहां श्यामा चरण जी की तपस्थली रहा सत्यलोक देश-विदेश आकर. वर्तमान में सत्यलोक चार मंजिला. प्रथम तल पर मंदिर में शिवलिंग है और उसी. उसी के पास लाहिड़ी जी के गुरू बाबा जी की भी. यहां गुरू पूर्णिमा पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जाता. इस दौरान दो दिन पहले दो दिन बाद तक भजन-कीर्तन. साथ ही भण्डारे का भी आयोजन किया. यहां चौसट्टी घाट होते हुए आसानी से पहुंचा जा सकता.

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