കഥക് നൃത്യ― ഉത്തര ഭാരതം

का नृत्य रूप 100 सें को को को को को पैरों को को को को को को को को को में बालबद्ध पदचाप, विहंारा पहचाना जाता है हिन्दु के के अलावा पर्श्दू उर्दू कविता से ली गई विषयवस्तुओं का नाटकीय प्रस्तुतीकरण किया जाता है
*കഥക ജന്മം ഉത്തരത്തിൽ ഹുആ കിന്തു പാർഷ്യനും മുസ്ലീം പ്രഭാവവും യഹൂദ മന്ദിരം ജൻ തക പഹുഞ്ച് ഗയാ.
* इस दृत्य के दराने हैं, को उत्तर के के के के शहरों के शहरों के नाम पर के शहरों के नाम पर के है है के से से दोनों ही के संरक्षण में में विस्तारित हुआ - लखनऊ घराना और जयपुरघराना.
* വർത്തമാന സമയത്തിൻ്റെ കഥകൾ കിയാ ജാതി ഉണ്ട്.

ആർക്കെസ്‌ട്ര ഗാന...കുച്ച് എക്‌സ്‌ട്രാ

भप सभी ऑर्केस्ट्रा के नाम से तो परिचित से बहुतो ने कोई ने कोई ऑर्केस्ट्रा सुना ही - बड़े फंकेस्ट्रा ऑर्केस्ट्रा ऑर्केस्ट्रा दिखाई सुने देता दिखाई सुने दिखाई सुने देता दिखाई, की शादी हो या, स्कूल में पेरेंट्स पेरेंट्स पेरेंट्स മീറ്റ്,ഓർക്കസ്ട്ര ഹോനാ ആം ബാത്ത് ഹയിം,കഭി സ്കൂളിൻ്റെ വാർഷിക ഉത്സവത്തിൽ ,കഭി സാനി സെ ഓർക്കെസ്‌ട്ര സൺ സകതേ ഉണ്ട്, അവർ, ബഡേ ബഡേ സംഗീതകാരോം ദ്വാരാ നിർദേശിത്, ഓർകെസ്ട്രയുടെ ധ്വനി മുദ്രാവാക്യം गे हैं. ജിസമേ സേ കയ് ബഹുത ലോകപ്രിയ ഹ്യൂം, റിലക്‌സേഷൻ നാമം കാ ആദരണീയ പാണ്ഡിത്യം ദ്വാര സംഗീത നിർദേശിത്- സംയോജിത ധ്വനി മുദ്ര കാഫി ലോഗോ നേ പസന്ദാ കിയാ.

ഗജൽ: സുന്ദര സംഗീത വിധ

संगीत से चाहे कितना ही अल्प परिचय क्यों न हो!शास्त्रीय संगीत की राग रचना,आलाप,सुरताल का ग्यान हो,न हो,लोक संगीत की सरसता,प्रवाहशीलता में मन बहे न बहे,फ़िल्म संगीतकी सुरीली झंकारों पर पाव थिरके न थिरके,पर गज़ल वह विधा हैं कि हर किसी को पसंदआती हैं,हर किसी को अपनी सी लगती हैं,हर कोई सुनना पसंद करता हैं,गुनगुनाना पसंदकरता हैं,सच कहे तो कभी यह अपने ही दिल कि बात सुनाती सी,कहती सी लगती हैं इसलिएआज जब कई अन्य सांगीतिक विधाये अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं,तब गज़लहर मन छा गई हैं,हर दिल पर राज कर रही हैं।

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

राग परिचय