अडाना
Pooja
Wed, 28/07/2021 - 23:19
राग अडाणा हा भारतीय शास्त्रीय संगीतातील एक राग आहे.
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थाट | |||
प्रकार | हिंदुस्तानी | ||
जाती | |||
स्वर | |||
आरोह | सा रे म प ध् नि सां | ||
अवरोह | सां ध् नि' प म प ग् म रे सा | ||
वादी स्वर | सा | ||
संवादी स्वर | प | ||
पकड | |||
गायन समय | रात्रिचा तिसरा प्रहर | ||
गायन ऋतू | |||
समप्रकृतिक राग | |||
उदाहरण | माता न तू वैरिणी (गीतरामायण) |
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इतर वैशिष्ट्ये | (वरील चौकटीत हलंत शब्द (पाय मोडलेला) हा कोमल स्वर दर्शवितो. तसेच, स्वरानंतर असलेले ' हे चिन्ह कोमल स्वर दर्शविते. तार सप्तकातील स्वरांवर टिंबे दिलेली आहेत ) |
राग अडाना के आरोह में गंधार वर्ज्य होने के कारण यह राग दरबारी कान्हड़ा से अलग दिखता है। राग अडाना विशेष कर मध्य और तार सप्तक में खिलता है। इस राग में गंधार और धैवत पर आंदोलन नहीं किया जाता। और इसी तरह गमक और मींड का भी उपयोग नहीं किया जाता इसीलिए इस राग की प्रकृति में चंचलता है।
आरोह में गंधार वर्ज्य है परन्तु अवरोह में ग१ म रे सा लिया जाता है जो की कान्हड़ा अंग का सूचक है। कभी-कभी अवरोह की तान लेते समय धैवत को छोड़ा जाता है जिससे सारंग अंग का आभास होता है जैसे - सा' नि१ प म ग१ म रे सा। इस राग में आरोह का कोमल निषाद थोड़ा चढ़ा हुआ लगता है। यह स्वर संगतियाँ अडाना राग का रूप दर्शाती हैं -
थाट
राग जाति
गायन वादन समय
आरोह अवरोह
सा रे म प ध१ नि१ सा' - सा' ध१ नि१ प ; म प ग१ म रे सा;
वादी स्वर
षड्ज/पंचम
संवादी स्वर
षड्ज/पंचम
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