चित्रपट संगीत कल आणि आज

 

चित्रपट संगीत का नाम सुनते ही ह्रदय के तार झंकृत होत आहे, मन मस्तिष्क न जाणे किती नवीन गाणे छाते, सिनेमा संगीतात हर की रुची, लहान लहान मुले गाते सांगतात तू हीच रे तेरे. बिना मी कसे जीउ, तो वृध्ध गाते तू इथे मी वहा म्हणतोय?

सुर ना सजे क्या गाऊँ मी ?

सुर ना साधे काय गाऊ मी?सुर के बिना जीवन सुना............सुर ना साधे ?
आणि सुंदरता ते एक गायक की मनोव्था का वर्णन करतात.
सुर की महिमा अपार आहेत ,संपूर्ण जीव सृष्टि मी सुर पुढं आहेत ,उसी एक सुर को साधने मध्ये संगीतघ्यो की सारी निघतात ,पर सुर की सधता ही नाही. म्हणतात........
" तंत्री नाद कवित्त रस सरस नाद रति रंग ।
अनबुढे बूढे,तीरे जो बूढे सब अंग । "

बंसी की स्वर यात्रा

बंसीधर कृष्ण कहैया ।भगवान श्रीकृष्णाच्या या नामातून पुकारा जात आहेत, जसे की बंसी आणि कृष्ण एक पर्याय म्हणून.
या बंसीच्या जन्माच्या संबंधात महाकवि कालिदास ने कुमार कि , भौरों द्वारा पूर्वित वंश - नलिका में वायु के प्रवेश से मधुर ध्वनी को सुनकर किन्नरांनी त्याला वाद्य म्हणून प्रचलित केले. हे वाद्य खूप पुराना आहेत ,भारत के नाट्यशास्त्रात भी वंशी का वर्णन आहे , महाभारत ,श्रीमत्भागवत मध्ये भी वंशी या बांसुरी का वर्णन आहे ,दासूर ने लिहिले आहे ,
"मेरे स्ववरे जेव्हा मुरली अधर धरी
सुनी थके देव विमान । सुर वधु चित्र समान ।
गढ़ नक्षत्र तजत ने रास । यहीं बंशे ध्वनी पास ।

फ्यूजन का कन्फ्यूजन

लीजिये जनाब,अब जमाना आ गया हैं फ्यूजन म्यूजिक का,जिसे देखो फ्यूजन कर रहा हैं,फ्यूजन सुन रहा हैं,बडे पिता की संतान हो,या नामचीन कलाकार,संघर्षरत कलाकार हो या ,नौसिखा गायक वादक,सब फ्यूजन की धुन में लगे हैं,आलम यह हैं की चारो दिशाओ में फ्यूजन हो रहा हैं और हम कन्फ्यूज़ हो रहे हैं.
आख़िर हैं क्या बला यह फ्यूजन ???आईये आज जानते हैं फ्यूजन के बारे में ।

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

राग परिचय