राग भीमपलासी
राग भीमपलासी हा भारतीय शास्त्रीय संगीतातील एक राग आहे.
भीमपलास रागातली काही लोकप्रिय गीते
- इंद्रायणी काठी, देवाची आळंदी, लागली समाधी ज्ञानेशाची (कवी - ग.दि. माडगूळकर, ,संगीत दिग्दर्शक - पु.ल. देशपांडे, गायक - भीमसेन जोशी, चित्रपट- गुळाचा गणपती)
- सुख देवासी मागावे, दुःख देवाला सांगावे (कवी शांताराम आठवले, गायिका लता मंगेशकर. संगीत दिग्दर्शक सुधीर फडके, चित्रपट शेवग्याच्या शेंगा)
राग भीमपलासी दिन के रागों में अति मधुर और कर्णप्रिय राग है। इसके अवरोह में सातों स्वरों का प्रयोग किया जाता है। अवरोह में रिषभ और धैवत पर जोर दे कर ठहरा नहीं जाता। अवरोह में धैवत को पंचम का तथा रिषभ को षड्ज का कण लगाने से राग की विशेष शोभा आती है। षड्ज-मध्यम तथा पंचम-गंधार स्वरों को मींड के साथ विशेष रूप से लिया जाता है। वैसे ही निषाद लेते समय षड्ज का तथा गंधार लेते समय मध्यम का स्पर्श भी मींड के साथ लिया जाता है। इस राग में निषाद कोमल को ऊपर की श्रुति में गाया जाता है, जिसके लिये बहुत रियाज कि आवश्यकता होती है। यह पूर्वांग प्रधान राग है। इसका विस्तार तीनों सप्तकों में होता है।
यह गंभीर प्रकृति का राग है। श्रृंगार और भक्ति रससे यह राग परिपूर्ण है। इस राग में ध्रुवपद, ख्याल, तराने आदि गाये जाते हैं। कर्नाटक संगीत में आभेरी नामक राग इस राग के सामान है। काफी थाट का ही राग धनाश्री, भीमपलासी के ही सामान है। धनाश्री में वादी पंचम है जबकि भीमपलासी में वादी मध्यम है।
यह स्वर संगतियाँ राग भीमपलासी का रूप दर्शाती हैं - सा ,नि१ ,नि१ सा ; ,नि१ सा ग१ रे ; सा रे सा ,नि१ ; ,नि१ ,नि१ सा ; ,प ,नि१ सा ग१ ; ग१ म ग१ रे सा ; सा ग१ म ; म ग१ प ; प म ध प म ग१ म ; म ग१ प म प म ग१ म ; ग१ म प ग१ म ; ग१ ग१ रे सा ; ,नि१ सा म ; प म ग१ ; ग१ रे सा ; सा ग१ म प ; म ग१ प ; प म ध प ; नि१ ध प ; प म ध प म ; प म ; ग१ म प नि१ ; सा' नि१ नि१ नि१ नि१ सा' ; प प सा' नि१ रे' सा' ; सा' रे' सा' नि१ नि१ सा' नि१ ध प ; प ध प म ग१ प म ; ग१ म ग१ रे सा;
थाट
राग जाति
गायन वादन समय
Tags
राग भीमपलासी का परिचय और अलंकार-पल्टों का रियाज़
- Log in to post comments
- 14897 views