लोक-गीत

यह संगीत दूर दराज के गावों में गाया जाता है, और इसके अनेक रूप विविध भाषाओं में देखने को मिलते हैं। चैती, कजरी आदि लोकगीत के रूप हैं।

खटके और मुरकियाँ

सुन्दर मुरकियाँ ही ठुमरी की जान है। मुरकी वह मीठी रसीली स्वर योजनाएँ हैं, जो मधुर भाव से कोमल कंठ द्वारा ली जाती हैं। जबकि खटके की स्वर योजनाएँ भरे हुए कंठ द्वारा निकाली जाती हैं। यही मुरकी और खटके में भेद है।

चतुरंग अथवा चतरंग

चतरंग गीत का ऐसा प्रकार है जिसमें चार प्रकार के प्रबंध दर्शन एक साथ होते हैं, ख्याल, तराना, सरगम और तबला या पखावज की छोटी सी परन, इनका समावेश होता है चतरंग में।

होरी

होली के प्रसंग की कविता या गीत जो ठुमरी के आधार पर गाया जाता है, होरी कहलाता है।

छोटा ख्याल

छोटा ख्याल चंचल सरस चमत्कार प्रधान और लय के आकर्षण से परिपूर्ण होता है इसे गाते समय भी आठों अंगों का प्रयोग किया जाता है। त्रिताल, एकताल, झपताल, रूपक और आड़ा-चौताल आदि द्रुतलय में बजाये जाते हैं जो कि छोटे ख्याल में प्रयुक्त होते हैं।

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

राग परिचय