खयाल अथवा ख्याल

ख्याल फारसी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है कल्पना। ख्याल के २ भेद हैं। पहिला है बड़ा ख्याल और दूसरा छोटा ख्याल। बड़ा ख्याल, विलम्बित लय में ध्रुवपद की गंभीरता के साथ गाया जाता है और कल्पना के आधार पर विस्तारित किया जाता है। इसे गाते समय आठों अंगों का व्यवहार समुचित किया जाता है। बड़े ख्याल में प्रयुक्त होने वाले ताल हैं एकताल, तिलवाड़ा, झूमरा, रूपक, झपताल, आड़ा-चौताल, आदिताल आदि।

गीत

आधुनिक कवियों द्वारा रचे हुए भावगीत जो शब्द अर्थ प्रधान रहते हैं लोकॅसंगीत के आधार पर अर्थानुकूल गाये जाते हैं इन्हें ही गीत कहते हैं।

तराना

वीणा वादन के आघात प्रत्याघातों को निरर्थक दमदार बोलों द्वारा व्यक्त करते हुए वाद्य संगीत कि चमाचम सुरावट कंठ द्वारा निकालना और लय के बांटों का रसभंग न होते हुए सफल प्रदर्शन तराना गायन की अविभाज्य विशेषता है। तेज लय में ना ना ना दिर दिरर्रर्र आदि कहने का नाम तराना नही है। वीणावादन का सफल प्रदर्शन कंठ द्वारा होना चाहिये, वही तराना है।

ठुमरी

राधाकृष्ण के या प्रेम की भावना से परिपूर्ण श्रंगारिक गीत जिसका अर्थ मिलन अथवा विरह की भावना में लिपटा रहता है, खटकेदार स्वरसंगतियों और भावानुकूल बोल आलापों एवं बोलॅतानों से सजाते हुए अर्थ सुस्पष्ट करके गाया जाता है उसे ठुमरी कहते हैं। लखनऊ, बनारस तथा पंजाब शैली की ठुमरियां अपनी अपनी विशेषता से परिपूर्ण होती हैं। इसमे प्रयक्त होने वाले ताल हैं पंजाबी, चांचर, दीपचंदी, कहरवा और दादरा आदि।

धमार

धमार नामक ताल में होरी के प्रसंग के गीत जो कि ध्रुवपद शैली पर गाये जाते हैं, धमार कहलाते हैं।

धमर-होरी शैली 

  • ध्रुपद ताल के अलावा यह शैली ध्रुपद से काफी समानता रखती है। यह बहुत ही संगठित शैली है और इसमें 14 तालों का चक्र होता है जिनका अनियमित रूप से उपयोग किया जाता है। इसकी रचनाएँ प्रकृति में सामान्यतः भक्तिपरक होती हैं और भगवान कृष्ण से संबंधित होती हैं। कुछ अधिक लोकप्रिय गीत होली त्योहार से संबंधित हैं इसी कारण वश इसकी कई रचनाओं में शृंगार रस नज़र आता है। 

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

राग परिचय