લતા મંગેશકર: સંપૂર્ણ જીવનચરિત્ર

लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) भारत की सबसे प्रतिष्ठित पार्श्वगायिका हैं जिन्होंने कई फिल्मी और गैरफिल्मी यादगार गीत गाए हैं। दुनिया भर में उनके करोड़ों प्रशंसक हैं जो लता को मां सरस्वती का अवतार मानते हैं। लता ने हजार से ज्यादा हिंदी फिल्मों में गीत गाए हैं। मुख्यत: उन्होंने हिंदी, मराठी और बंगाली में गाने गाए हैं। वे 36 से ज्यादा भाषाओं में गीत गा चुकी हैं जो अपने आप में एक कीर्तिमान है।

છેલ્લા શ્વાસ સુધી વાંસળી વગાડવાની ઈચ્છા: પંડિત હરિપ્રસાદ ચૌરસિયા

आखिरी साँस तक बाँसुरी बजाने और इसमें शोध करने की ख्वाहिश का इजहार करते हुए प्रसिद्ध बाँसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया ने कहा कि यह लोकधुन पर आधारित वाद्य है और यह शास्त्रीय संगीत का एकमात्र ऐसा वाद्ययंत्र है, जो पूरी दुनिया में बजाया जाता है।

સાંજની પૂજામાં પૂજા, આરતી, પ્રાર્થના કે ધ્યાન કરવું?

कीर्तन : ईश्वर, भगवान, देवता या गुरु के प्रति स्वयं के समर्पण या भक्ति के भाव को व्यक्त करने का एक शांति और संगीतमय तरीका है कीर्तन। इसे ही भजन कहते हैं। भजन करने से शांति मिलती है। भजन करने के भी नियम हैं। गीतों की तर्ज पर निर्मित भजन, भजन नहीं होते। शास्त्रीय संगीत अनुसार किए गए भजन ही भजन होते हैं। सामवेद में शास्त्रीय सं‍गीत का उल्लेख मिलता है। नवधा भक्ति में से एक है कीर्तन।

अद्भुत औषधि है कीर्तन...!

খেয়াল গানের ঈশ্বর -> পন্ডিত ভীমসেন জোশী

उनका आभामंडल सुरों की पवित्रता से दमकता रहता है... सुर उनके गले में स्थान पाकर अपने आप को धन्य समझते हैं, क्योंकि वे जब भी गाते हैं बिलकुल सच्चा और शुद्ध गाते हैं।

पं. भीमसेन जोशी भारतीय शास्त्रीय संगीत और किराना घराने के ऐसे आधार स्तंभ हैं जिन्होंने कलाकार बनने की हरेक सीढ़ी को केवल मेहनत के बल पर ही पार किया है और ऐसी मेहनत को अगर भारतरत्न मिलता है तो निश्चित रूप से न केवल कलाकारों व उनके चाहने वालों को खुशी होती है बल्कि स्वयं संगीत भी अपने आप को धन्य समझता है।

...तर 'क्रिकेटर' हा 'शास्त्रीय गायक' उस्ताद रशीद खान झाला असता

साल 2007 के पहले उस्‍ताद राशिद खान को सिर्फ क्‍लासिकल सुनने वालों की पसंद थे, लेकिन इसी साल जब इम्तियाज अली की फिल्‍म ‘जब वी मेट’ आई तो उनका नाम हर उस आदमी की जुबान पर भी था, जो शास्‍त्रीय संगीत नहीं सुनता हैं।
दरअसल, इस फिल्‍म में गाया उनका गीत ‘आओगे जब तुम हो साजना अंगना फूल खिलेंगे’ इतना लोकप्रिय हुआ कि वे नॉन क्‍लासिकल दुनिया में भी प्रसिद्ध हो गए। सुगम संगीत में ठुमरी की छौंक लोगों को बेहद पसंद आया। अब आलम यह है कि उनकी क्‍लासिकल की महफिलों में भी यह गीत फरमाईश की सूची में सबसे पहले होता है।

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

राग परिचय