ప్రాణ్ నాథ్ (సంగీతకారుడు)

Pandit Pran Nath (Devanagari: पंडित प्राणनाथ) (3 November 1918 – 13 June 1996) was an Indian classical singer and master of the Kirana gharana singing style. Promoting traditional raga principles, Nath exerted an influence on notable American minimalist and jazz musicians, including La Monte Young, Terry Riley, and Don Cherry] He began performing in the United States in the 1970s, and established the Kirana Center for Indian Classical Music in 1972; he subsequently taught in various universities across the US and Europe.

కిషోరి అమోంకర్ అకా స్టోన్స్ పాడిన పాట

जयपुर अतरौली घराने की गायकी के मर्म और ममत्व की खूबियों-बारीकियों को गहराई से सीखने-समझने में पारंगत होने के बाद इसे अपनी गायन-शैली में शामिल करने वाली किशोरी अमोणकर ने अपनी गायकी में नए-नए आविष्कार करते हुए भारतीय शास्त्रीय संगीत के महाद्वीप में अपना मौलिक स्थान बनाया था। उन्होंने अपनी गायकी को एक अनोखे अंदाज में तराशते हुए जिस तरह से संवारा था, उससे उनकी गायन शैली में एक गहरा चिंतन और एक गहरी समझ दिखाई पड़ती है।

భారతీయ సంగీతం గురించి తెలుసు

संगीत हम सभी को लुभाता है। कहा जाता है कि संगीत के पीछे खुदा चलता है। संगीत की महत्ता इसी बात से पता चल जाती है। शायद ही कोई व्यक्ति होगा, जिसे संगीत पसंद न हो। आइए संगीत के बारे में हम जानते हैं।

भारतीय संगीत प्राचीनकाल से ही सुना जाता रहा है। इस संगीत का मूल स्रोत वेदों को माना जाता है। हिन्दू परंपरानुसार ब्रह्मा ने नारद मुनि को संगीत वरदान स्वरूप दिया था।

संगीत के स्वर भारतीय संगीत के सात शुद्ध स्वर होते हैं। ये हैं- षड्‍ज (सा), ऋषभ (रे), गंधार (ग), मध्यम (म), पंचम (प), धैवत (ध), निषाद (नी)।

శ్రావ్యమైన సంగీత వృత్తి

संगीत एक सर्वाधिक सुरीली मानवीय क्रिया है। वह नाद स्वर ही था, जिससे इस संसार की रचना हुई थी। संगीत एक ऐसी विधा है, जिससे मानव भावना को सृजित किया जा सकता है तथा भावनाओं को अभिव्यक्त किया जा सकता है। यह संगीत है, जो मस्तिष्क को सुकून प्रदान करता है। दुनिया में शायद ही कोई ऐसा इंसान होगा, जो कभी न कभी संगीत से अभिभूत न हुआ होगा। जहाँ तक भारत का प्रश्न है सदियों से हमारा संगीत से नाता रहा है।

కుమార్ సాను

कुमार सानू हिंदी सिनेमा के एक जानेमाने पार्श्व गायक हैं। 20 अक्टूबर, 1957 को कोलकता में जन्मे कुमार सानू का मूल नाम केदारनाथ भट्टाचार्य है। उनके पिताजी स्वयं एक अच्छे गायक और संगीतकार थे। उन्होंने ही कुमार सानू को गायकी और तबला वादन सिखाया था। गायक किशोर कुमार को अपना आदर्श मानने वाले सानू ने गायकी में अपना खुद का अलग अंदाज़ बनाये रखा है।

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

राग परिचय