काशी के साहित्यकार
काशी के साहित्यकार
दमोदर पंडित –
दमोदर पंडित ने गद्य में उक्ति व्यक्ति प्रकरण की। रचना की प्राकृत पैगलम् इन्हीं के द्वारा रचित एक काव्य ग्रन्थ है। जो काशी के राजकुमारों बाजार की भाषा सिखलाने के लिए रची गई थी काशिकेय के मतानुसार काशीश्वर राना की प्रशंसा इसी काव्य का अंश है।
कबीरदास –
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संत/सन्यासी काशी कथा
काशी का अविनाशी संगीत
काशी का अविनाशी संगीत
काशी में मोक्षदात्री उत्तरवाहिनी गंगा वरूणा और असि धार को भी सोहं शिवोहं के प्यार से जब जोड़ती है तो इस भावना का मालिक प्रत्येक रंक को आनंद का राजा बनाकर लघुता में गुरूता खोज लेता है। इसीलिए काशी का नागरिक मालिक राजा और गुरू का उपयोग अपनी बोलचाल में रोज करता है। इस नगरी का भोला मन महाश्मशान में भी आनन्द वन का विहारी बन प्रकृति से बना रस लूटता लुटाता है। इस नगरी में सांगीतिक सहचरण का आधार संगीत गंगा है जिसमें अनबूडे, बूडे तिरे, जे बूडे सब अंग-
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रामविलास का संगीत दर्शन
रामविलास शर्मा हमारे समय के एक गम्भीर अध्येता, मर्मी आलोचक और विचारक रहे हैं। दीर्घ काल तक व्याप्त उनके महत् कार्य का, उसके विभिन्न पक्षों-पहलुओं का ईमानदार मूल्यांकन शायद अब शुरू होगा।
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सलामत अली खान
Salamat Ali Khan (12 December 1934 – 11 July 2001) was a Pakistani vocalist and touring artist known for his contribution to the Hindustani classical music. Widely regarded as one of the greatest classical singers of the subcontinent, he was active in music industry, particularly in classical music after the partition of the Indian subcontinent, however he earned his recognition before migrated to Pakistan. In 1969, he appeared in Edinburgh Festival, leading him to earn international recognition.
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राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।