জনজাতীয় এবং লোক সঙ্গীত

जनजातीय और लोक संगीत उस तरीके से नहीं सिखाया जाता है जिस तरीके से भारतीय शास्‍त्रीय संगीत सिखाया जाता है । प्रशिक्षण की कोई औपचारिक अवधि नहीं है। छात्र अपना पूरा जीवन संगीत सीखने में अर्पित करने में समर्थ होते हैं । ग्रामीण जीवन का अर्थशास्‍त्र इस प्रकार की बात के लिए अनुमति नहीं देता । संगीत अभ्‍यासकर्ताओं को शिकार करने, कृषि अथवा अपने चुने हुए किसी भी प्रकार का जीविका उपार्जन कार्य करने की इजाजत है।

ভারতীয় शास्‍त्रीय নৃত্য

साहित्‍य में पहला संदर्भ वेदों से मिलता है, जहां नृत्‍य व संगीत का उदगम है । नृत्‍य का एक ज्‍यादा संयोजित इतिहास महाकाव्‍यों, अनेक पुराण, कवित्‍व साहित्‍य तथा नाटकों का समृद्ध कोष, जो संस्‍कृत में काव्‍य और नाटक के रूप में जाने जाते हैं, से पुनर्निर्मित किया जा सकता है । शास्‍त्रीय संस्‍कृत नाटक (ड्रामा) का विकास एक वर्णित विकास है, जो मुखरित शब्‍द, मुद्राओं और आकृति, ऐतिहासिक वर्णन, संगीत तथा शैलीगत गतिविधि का एक सम्मिश्रण है । यहां 12वीं सदी से 19वीं सदी तक अनेक प्रादेशिक रूप हैं, जिन्‍हें संगीतात्‍मक खेल या संगीत-नाटक कहा जाता है । संगीतात्‍मक खेलों में से वर्तमान शास्‍त्रीय नृत्‍य-रूपों

কিভাবে জানুন আপনি ভাল গানা গানা করতে পারেন

आप जब गाते हों तो हो सकता है की आपको लगता हो की बहुत अच्छा गाना गाते हैं लेकिन यह कैसे पता चले की आप सच में एक अच्छे गायक हैं । अगर आप अपनी आवाज़ को अच्छे से जांचना चाहते हों तो ऐसा आप कर सकते हैं । इसके लिए आपको बस अपने आप को ध्यान से सुनने की ज़रुरत है और औरों से अपनी आवाज़ के बारे में सुझाव लेना ज़रूरी है

কি হিন্দুস্তানি শাস্ত্রীয় সঙ্গীতে ঈশ্বর শঙ্কর কোম্পানীও কোন রগ?

साल 1978 की बात है. मशहूर अभिनेता देव आनंद एक फिल्म बना रहे थे- देस परदेस. इस फिल्म के प्रोड्यूसर-डायरेक्टर भी वही थे. इस फिल्म को सिनेमा फैंस कई वजहों से याद करते हैं. एक तो बतौर अभिनेत्री टीना मुनीम की ये पहली फिल्म थी. दूसरे इस फिल्म की सपोर्टिंग कास्ट में अजीत, प्राण, अमजद खान, श्रीराम लागू, टॉम ऑल्टर, बिंदू, प्रेम चोपड़ा, एके हंगल, सुजीत कुमार, महमूद और पेंटल जैसे उस दौर के जाने-माने चेहरे शामिल थे. इसके अलावा इस फिल्म के लिए देव आनंद ने बतौर संगीतकार राजेश रोशन को चुना था.

সঙ্গীত সুনা স্বাস্থ্যের জন্যও সুবিধাজনক, জানিয়ে কিভাবে

आमतौर पर, जब भी व्यक्ति बोर होता है तो मन बहलाने के लिए म्यूजिक सुनना काफी पसंद करता है। गाने सुनने से न सिर्फ मन शांत होता है, बल्कि इसके कारण काफी रिलैक्स भी महसूस होता है। लेकिन अगर आप सोचते हैं कि संगीत सुनने से सिर्फ आपका चित्त शांत होता है, तो आप गलत हैं। आपको शायद मालूम न हो लेकिन संगीत सुनने से आपका स्वास्थ्य भी काफी अच्छा होता है। जी हां, म्यूजिक सुनने से आप खुद को तंदरूस्त बनाए रख सकते हैं। तो चलिए आज हम आपको म्यूजिक सुनने के कुछ बेहतरीन स्वास्थ्य लाभों के बारे में बता रहे हैं−

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

राग परिचय