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साक्षात्कार

शख्सियत में गिरिजा देवी

गिरिजा देवी पूरी दुनिया में भारतीय संगीत की जाना-माना चेहरा थीं. गिरिजा देवी की स्वर साधना ने बनारस घराने और भारतीय शास्त्रीय गायन को एक नया आयाम दिया. ठुमरी को बनारस से निकालकर दुनिया के बीच लोकप्रिय बनाने का काम गिरिजा देवी ने ही किया. ध्रुपद से नाद ब्रम्ह की आराधना करते हुए सुरों को साधने वाली गिरिजा देवी श्रोताओं को संगीत के ऐसे समंदर में डूबाती थीं कि सुनने वाला स्वंय को भूल जाता था.

तेजस्विनी : ठुमरी की रानी’ गिरिजा देवी

समय के साथ भागता संगीत भले ही ऊंचा और वैविध्यपूर्ण होता जा रहा हो, लेकिन वो उतना ही नकली हो चुका है जितना अब लखनऊ का चिकनकारी वाला कुर्ता. रंग भी है, काम भी है. सजावट भी और वही अर्धपारदर्शी अहसास. लेकिन आत्मा कहीं नहीं है. सब गाने निष्प्राण कंकालों की तरह झूलते नजर आते हैं. जिनपर आप अपने अवसाद और दंभ भुनाने के लिए नाच तो सकते हैं, सुकून नहीं पा सकते.