मेवाती घराना

मेवाती घराना हिंदुस्तानी संगीत के प्रसिद्ध घरानों में से एक है। यह अपनी शैली भाव प्रधान नोट्स के माध्यम से राग का मूड के विकास को महत्व देता है। यह पाठ के अर्थ को समान महत्व देता है।

संस्थापक

घग्गे नज़ीर खान

प्रतिपादक

पंडित जसराज

मोती राम

मणिराम

संजीव अभ्यंकर

जानिए उस मेवाती घराने के बारे में, जिससे ताल्लुक रखते थे पंडित जसराज

मेवाती घराने (Mewati gharana) से जुड़ने के बाद पंडित जसराज (Pandit Jasraj) ने जुगलबंदी का एक नया रूप बनाया, जिसे जसरंगी कहते हैं.

दिल्ली घराना

दिल्ली घराना हिंदुस्तानी संगीत के प्रसिद्ध घरानों में से एक है। तानरस खान और शब्बू खान इस घराने के प्रवर्तक माने जाते हैं। तानरस खान की तान बहुत मशहूर थी। इन्होंने तानों का बहुत अभ्यास किया था। इनके पुत्र उमराव खाँ हुए जिन्होंने घराने को आगे चलाया।

संस्थापक

उस्ताद मम्मन खान

प्रतिपादक

चांद खान

नसीर अहमद खान

उसमान खान

इक़बाल अहमद खान

कृष्णा बिष्ट

रामपुर-सहस्वान घराना

रामपुर-सहस्वान घराना हिंदुस्तानी संगीत के प्रसिद्ध

घरानों में से एक है। रामपुर सहस्वान घराने की इस शैली में

स्वर की स्पष्टता पर एक तनाव है और विकास और राग का विस्तार एक चरण दर चरण प्रगति के माध्यम से किया जाता है।

संस्थापक

उस्ताद इनायत खान

प्रतिपादक

ग़ुलाम मुस्तफ़ा खान

उस्ताद निसार खान

उस्ताद राशिद खान

सुलोचना

बृहस्पति

बनारस घराना

हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के प्रसिद्ध घरानों में गिना जाता है। शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में इस घराने का बहुत ही महत्त्वपूर्ण योगदान है। उत्तर प्रदेश का बनारस घराना जयपुर घराने के समकालीन माना जाता है। इस घराने में गति व श्रंगारिकता के स्थान पर प्राचीन व प्रारंभिक शैली पर अधिक जोर दिया गया। बनारस घराने के नाम पर प्रख्यात नृत्यगुरु सितारा देवी के पश्चात् उनकी पुत्री कथक क्वीन जयंतीमाला ने इसके वैभव और छवि को बरकरार रखने का प्रयास किया है एवं गुरु-शिष्य परम्परा को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं।

किराना घराना

किराना घराना भारतीय शास्त्रीय संगीत और गायन की हिंदुस्तानी ख़याल गायकी की परंपरा को वहन करने वाले हिंदुस्तानी घरानों में से एक है। किराना घराने का नामकरण उत्तर प्रदेश के प्रबुद्ध नगर ज़िले के एक तहसील क़स्बा किराना से हुआ माना जाता है। यह उस्ताद अब्दुल करीम खाँ का जन्म स्थान भी है, जो बीसवीं सदी में किराना शैली के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भारतीय

संगीतज्ञ थे।

संस्थापक

अब्दुल करीम खाँ और अब्दुल वाहिद खान

प्रतिपादक

सवाई गंधर्व

सुरेशबाबू माने

प्रभा अत्रे

हीराबाई बादोडकर की शिष्या

माणिक वर्मा

सुरेशबाबू माने

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

राग परिचय