मुरिया नृत्य
मुरिया नृत्य छत्तीसगढ़ राज्य में निवास करने वाली मुरिया जनजाति द्वारा किया जाता है। मुरिया लोगों के मुख्य पर्व और त्योहारों में नवाखनी, चाड़ जात्रा और सेशा आदि प्रमुख हैं। इन लोगों के कला रूपों में मुख्य रूप से गीत नृत्य शामिल हैं। प्रत्येक व्यक्ति नृत्य के साथ-साथ नृत्य गीत में भी पारंगत होता है। अधिकतर नृत्य गीत किसी न किसी रीति-रिवाज या मान्यताओं से जुड़े होते हैं। मुरिया जाति को 'घोटुल' के कारण भी जाना जाता है। घोटुल मुरिया युवकों की एक संगठन व्यवस्था का नाम है।
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झांझ
करताल का बड़ा आकार ही झांझ कहलाता है। आकार में बड़ा होने की वजह से इसकी आवाज में करताल से ज्यादा गूंज होती है। थाला कांसा से निर्मित थाली होती है। इसका गोलाकार किनारा दो-तीन इंच उठा हुआ होता है। बीच में छेद होता है, जिसमें रस्सी पिरोकर झुलाया जाता है। बायें हाथ से रस्सी थाम कर हाथ दायें से इसे भुट्टे की खलरी से बजाया जाता है।
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कच्छी घोड़ी नृत्य
कच्छी घोड़ी नृत्य भारतीय राज्य राजस्थान का एक लोकनृत्य है। यह राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र से आरम्भ हुआ नृत्य है। यह केवल राजस्थान ही नहीं बल्कि भारत के अन्य भागों जैसे महाराष्ट्र, गुजरात आदि में भी प्रसिद्ध है। इसमें नर्तक नकली घोड़ों पर सवारी करते है। इसका प्रदर्शन सामाजिक एवं व्यावसायिक दोनों तरह से होता है। यह नृत्य दूल्हा पक्ष के बारातियों के मनोरंजन करने के लिए व अन्य खुशी अवसरों पर भी प्रदर्शित किया जाता है।
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सरोद
सरोद भारत के सबसे लोकप्रिय वाद्ययंत्र में से एक है जिसका प्रयोग शास्त्रीय संगीत से लेकर हर तरह के संगीत में किया जाता है।
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राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।