जूनियर डिप्लोमा (I Year) - गायन (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )
क्रियात्मक-परीक्षा १०० अंको कि होगी। शास्त्र का एक प्रश्न - पत्र ५० अंको का।
क्रियात्मक
१. स्वर-ज्ञान - ७ शुद्ध और ५ विकृत-स्वरों को गाने और पहचानने का ज्ञान, अधिकतर दो-दो स्वरों के सरल समूहों को गाने और पहचानने का अभ्यास। शुद्ध-स्वरों का विशेष ज्ञान।
२. लय-ज्ञान - प्रत्येक मात्रा पर ताली देकर लय कि स्थिरता कि जाँच। विलम्बित, मध्य, और द्रुत-लयों का साधारण परिचय। विभिन्न सरल मात्रा विभागों कि शिक्षा जैसे एक मात्रा में आधी-आधी वत्रा के दो अंक (एक, दो) या दो स्वर (सा, रे) बोलते हुए ताली देना। एक मात्र में चौथाई-चौथाई मात्रा के चार अंक (एक, दो, तीन, चार) या चार स्वर (सा, रे, ग, म) बोलना।
३. दस सरल अलंकारों का समुचित अभ्यास सरगम और आकार दोनों में एवं विलम्बित तथा मध्य-लयों में।
४. अल्हैया बिलावल, यमन, खमाज, काफी, बिहाग, भैरव, और भूपाली रागों में एक-एक छोटा-ख्याल कुछ सरल तानों सहित।
५. इन रागों में साधारण आलाप करने कि क्षमता। गीत गाते समय हाथ से ताल देने का अभ्यास तथा तबले कि साथ गाने का अभ्यास।
६. तीन-ताल, चार-ताल, दादरा, और कहरवा तालों के ठेकों को ताली देते हुए ठाह तथा दुगुन लयों में बोलना।
७. मुख्य राग-दर्शक आलापों द्वारा राग पहचान।
महाविद्यालय
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पाठ्यक्रम विषय
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