संगीत प्रभाकर (V Year) - कत्थक (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )
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1. 10 करणों का क्रियात्मक रूप से प्रस्तुत करने की क्षमता।
2. तीनताल में 25 मिनट तक बिना बोलों को दोहराये तथा धमार में 15 मिनट तक नृत्य करने की क्षमता। भजन तथा ठुमरी गायन पर भाव प्रदर्शित करते हुए नृत्य करने की क्षमता।
3. नये कथानकों, जैसे - माखन चोरी, कालिया दमन, चीर हरण, गोवर्धन धारण तथा कत्थक शैली में तांडव और लास्य अंग के नृत्यों का अभ्यास।
4. कोई भी दो प्रादेशिक लोकनृत्य, जैसे - गरवा, राजकोली, छपेली, भांगड़ा आदि में प्रदर्शन की क्षमता।
5. अब तक के पाठ्यक्रम में निर्धारित तालों में लहरा (नगमा) बजाने का अभ्यास।
6. रूपक, धुमाली, चारताल, दीपचन्दी तथा पंचम सवारी में दो थाट, एक आमद, चार तोड़े, एक चक्करदार तोड़ा तथा चक्करदार परन, दो साधारण परन, तीन तिहाइयां तथा तत्कार और उनके पल्टे।
7. लक्ष्मीताल, जत, अद्धा तथा झूमरा को हाथ से ताली देकर ठाह, दुगुन, चौगुन तथा आड़ लय में बोलना तथा पैर से निकालना।
8. पाठ्यक्रम में अब तक निर्धारित सभी तालों के ठेकों को तबले पर बजाने का अभ्यास।
9. खमाज, काफी, तिलंग तथा बिहाग में स्वरमालिका गाने की क्षमता।
महाविद्यालय
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पाठ्यक्रम विषय
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