मनाक् तथा इषत् स्पर्श
मींड जहाँ से प्रारम्भ होती है उस स्वर का आभास जो कानों के द्वारा सूक्ष्मतर ढंग से सुना जाता है, उस प्रारंभिक आभास वाले स्वर को इषत् स्पर्श कहते हैं।
जिस प्रकार मन में कहीं से भी विचार आते हैं तदनुसार मींड आती हुई दिखाई दे, लेकिन कहाँ से आ रही है वह सिर्फ मन द्वारा ही जान सकते हैं उसे मनाक् स्पर्श कहते हैं।
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