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तराना

वीणा वादन के आघात प्रत्याघातों को निरर्थक दमदार बोलों द्वारा व्यक्त करते हुए वाद्य संगीत कि चमाचम सुरावट कंठ द्वारा निकालना और लय के बांटों का रसभंग न होते हुए सफल प्रदर्शन तराना गायन की अविभाज्य विशेषता है। तेज लय में ना ना ना दिर दिरर्रर्र आदि कहने का नाम तराना नही है। वीणावादन का सफल प्रदर्शन कंठ द्वारा होना चाहिये, वही तराना है।

तराना शैली

  • इस शैली में लय बहुत महत्त्वपूर्ण होती है। इसकी संरचना लघु एवं कई बार दोहराए जाने वाले रागों से निर्मित होती है। इसमें तीव्र गति से गाए जाने वाले कई शब्दों का प्रयोग होता है। यह लयबद्ध विषय बनाने पर केंद्रित होता है और इसलिये गायक के लिये लयबद्ध हेरफेर में विशेष प्रशिक्षण एवं कौशल की आवश्यकता होती है। वर्तमान में विश्व के सबसे तेज़ तराना गायक मेवाती घराने के पंडित रतन मोहन शर्मा है। श्रोताओं द्वारा इन्हें 'तराना के बादशाह' (तराना के राजा) की पदवी भी दी गई है।