डी.व्ही.पलुस्कर

Pandit Dattatreya Vishnu Paluskar (28 May 1921 – 26 October 1955), was a Hindustani classical vocalist. He was considered a child prodigy.

Early life and background
D.V. Paluskar was born in Nasik, Maharashtra to well-known Hindustani musician Vishnu Digambar Paluskar.[His original surname was Gadgil, but as they hailed from the village Palus (near Sangli), they came to be known as the "Paluskar" family.

आंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस का साजरा केला जातो?

अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस की शुरुआत 29 अप्रैल 1982 से हुई. यह एक महान रिफ़ोर्मर जीन जॉर्ज नावेरे के जन्म की स्मृति में मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि आज से 2000 वर्ष पूर्व देवताओ के कहने पर ब्रम्हाजी ने नृत्य वेद तैयार किया तभी से नृत्य की उत्पत्ति मानी जाती है. जब नृत्य वेद की रचना पूरी हुई, तब नृत्य करने का अभ्यास भरतमुनि के सौ पुत्रो ने किया. इस नृत्य वेद में सामवेद, अथर्ववेद, ऋग्वेद और यजुर्वेद की कई चीजों को शामिल किया गया.

भारतीय नृत्य कला: शास्त्रीय नृत्याचा परिचय आणि प्रकार

भारतीय नृत्यकला : शास्त्रीय नृत्य का परिचय और प्रकार- अंग-प्रत्यंग एवं मनोभागों के साथ की गई गति को नृत्य कहा जाता है। यह सार्वभौम कला के साथ मानवीय अभिव्यक्ति का रसमय प्रदर्शन है। भरत मुनि (द्वितीय शताब्दी ईसा पूर्व) के  ‘नाट्य शास्त्र’ को भारतीय नृत्यकला का प्रथम व प्रामाणिक ग्रंथ और पंचवेद उपनाम से भी जाना है।
नत्य के प्रकार (Type of Dance) -
भरत नाट्यशास्त्र में नृत्य के दो प्रकार वर्णित हैं-
1. मार्गी (तांडव) - अत्यंत पौरुष और शक्ति के साथ किया जाता है (उदा.भगवान शंकर का नृत्य)
2. लास्य (राष) - लास्य कोमल नृत्य है (उदा. भगवान कृष्ण गोपियों संग नृत्य)

नृत्य म्हणजे काय?

नृत्य क्या है।
नृत्य एक प्रकार का सशक्त आवेग है। मनुष्य जीवन के दोनों पक्षों-सुख और दुख में नृत्य हृदय को व्यक्त करने का अचूक माध्यम है। लेकिन नृत्य कला एक ऐसा आवेग है, जिसे कुशल कलाकारों के द्वारा ऐसी क्रिया में बदल दिया जाता है, जो गहन रूप से अभिव्यक्तिपूर्ण होती है और दर्शकों को, जो स्वयं नृत्य करने की इच्छा नहीं रखते, आनन्दित करती है। परिभाषा के तौर पर देखें तो अंग-प्रत्यंग एवं मनोभाव के साथ की गयी नियंत्रित यति-गति को नृत्य कहा जाता है। नृत्य में करण, अंगहार, विभाव, भाव, अनुभाव और रसों की अभिव्यक्ति की जाती है। नृत्य के दो प्रकार हैं

कथकली हे कोणत्या राज्यातील पारंपारिक नृत्य आहे?

प्रतियोगी परीक्षा में भातरीय नृत्य शैली से भी एक या दो सवाल पूछे जाते हैं. ऐसे सवालों को हल करने के लिए आपको इन नृत्य शैलियों के नाम और राज्य के नाम याद होना चाहिए...

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

राग परिचय