രബീന്ദ്രനാഥ ടാഗോർ: സംഗീതത്തിന്റെയും കലയുടെയും സാഹിത്യത്തിന്റെയും അതുല്യമായ സംഗമം
भारतीय राष्ट्रगान की रचयिता और काव्य, कथा, संगीत, नाटक, निबंध जैसी साहित्यिक विधाओं में अपना सर्वश्रेष्ठ देने वाले और
चित्रकला के क्षेत्र में भी कलाकार के रूप में अपनी पहचान कायम करने वाले रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को जोड़ासांको में हुआ था।
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സംഗീതം ഒരു സുഹൃത്തിനെ പോലെയാണ് - ശുഭ മുദ്ഗൽ ബിബിസിയുടെ 'ഏക് മുളകത്ത്'
मशहूर गायिका शुभा मुदगल, जिन्होंने शास्त्रीय संगीत और लोकप्रिय संगीत का अद्भुत मेल करने की कोशिश की है। शुभा मुदगल शास्त्रीय संगीत सुनने वालों और लोकप्रिय संगीत के दीवाने युवाओं के बीच बहुत लोकप्रिय हैं।
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സംഗീത ട്യൂണുകൾ സുഖപ്പെടുത്തും
दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों की भागदौड़ भरी जिन्दगी में उच्च रक्तचाप, अवसाद, तनाव और हृदयरोग के बढ़ते मामलों का अनूठा इलाज 'संगीत' में छिपा है और यह दावा करने वाला एक कलाकार संगीत से चिकित्सा के इन्हीं रहस्यों से परदा उठाने की कोशिश कर रहा है ।
युवा तबला वादक मुस्तफा हुसैन ने बताया, 'पूरी मनुष्य प्रजाति एक-दो-तीन-चार के ताल में चल रही है। यही मूलभूत लय है, जिस पर पूरी सृष्टि आधारित है।' उन्होंने कहा, 'संगीत सुकून तो पैदा ही करता है, इसमें तनाव, उच्च रक्तचाप, हृदयरोग, डिप्रेशन सहित कई बीमारियों को दूर करने की अचूक शक्ति है बशर्ते इसे सही ढंग से इस्तेमाल किया जाए।
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ഒൻപതാം വയസ്സിൽ ആർ ഡി ബർമൻ തന്റെ ആദ്യ ഗാനം രചിച്ചു.
1) 27 जून 1939 को कोलकाता में जन्मे राहुल देव बर्मन के पिता सचिन देव बर्मन की गिनती बॉलीवुड के महान संगीतकारों में होती है। राहुल ने अपने पिता की परम्परा को आगे बढ़ाया।
2) आरडी को पंचम नाम से फिल्म जगत में पुकारा जाता था। पंचम नाम के पीछे मजेदार किस्सा है। आरडी बचपन में जब भी गुनगुनाते थे, प शब्द का ही उपयोग करते थे। यह बात अभिनेता अशोक कुमार के ध्यान में आई। सा रे गा मा पा में ‘प’ का स्थान पाँचवाँ है। इसलिए उन्होंने राहुल देव को पंचम नाम से पुकारना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उनका यही नाम लोकप्रिय हो गया।
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സച്ചിൻ ദേവ് ബർമൻ: പോകുന്നവരേ, കഴിയുമെങ്കിൽ ദയവായി തിരികെ വരൂ.
हरदिल अजीज संगीतकार सचिनदेव बर्मन का मधुर संगीत आज भी श्रोताओं को भाव-विभोर करता है। उनके जाने के बाद भी संगीतप्रेमियों के दिल से एक ही आवाज निकलती है- 'ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना...।'
सचिनदेव बर्मन का जन्म एक अक्टूबर 1906 में त्रिपुरा के शाही परिवार में हुआ। उनके पिता जाने-माने सितारवादक और ध्रुपद गायक थे। बचपन के दिनों से ही सचिनदेव बर्मन का रुझान संगीत की ओर था और वे अपने पिता से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा लिया करते थे। इसके साथ ही उन्होंने उस्ताद बादल खान और भीष्मदेव चट्टोपाध्याय से भी शास्त्रीय संगीत की तालीम ली।
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राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।