ரத்னாகர் பை
Pandit Ratnakar Pai (13 April 1928 – 9 August 2009) was a Hindustani classical music vocalist of the Jaipur-Atrauli Gharana.
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மோகன்ராவ் பலேகர்
Mohanrao Palekar (Devanagari: मोहनराव पालेकर, 1898–1962) was a noted Hindustani classical vocalist and is considered a stalwart of Jaipur-Atrauli Gharana, commonly referred as Jaipur Gharana.
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ஹிந்துஸ்தானி கிளாசிக்கல் பாடகர் இசையமைப்பாளர் மற்றும் குரு பண்டிட் அஜய் சக்ரபர்த்தி
Pandit Ajoy Chakrabarty (born 25 December 1952) is an Indian Hindustani Classical Vocalist, Composer, Lyricist and Guru, poised nearly as a cult figure among all the legendary Indian Classical Musicians. Although considered a scion and doyen of the Patiala-Kasur Gharana(style), primarily representing Ustad Bade Ghulam Ali Khan and Ustad Barkat Ali Khan sahibs gayaki, he can equally portray even the most subtle features of other major Classical gharanas of India like Indore, Delhi, Jaipur, Gwalior, Agra, Kirana, Rampur and even Carnatic music of South India.
பாடகர் பண்டிட் ரவி கிச்சுலு
Born in Almora in 1932, and educated at the benaras Hindu university, Pandit Ravi Kichlu was a doyen of the Agra Gharana, having trained under Ustad Moinuddin Dagar, Ustad Aminuddin dagar and Ustad Latafat Hussain Khan.
His memmerising performances, with a distinct emphasis on Dagar Bani and Alapchari (rendered in the nom-tom style), thrilled audiences in India and abroad.
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தியாகராஜா வாழ்க்கை வரலாறு
त्यागराज प्रसिद्ध संगीतज्ञ थे। वे 'कर्नाटक संगीत' के महान् ज्ञाता तथा भक्तिमार्ग के कवि थे। इन्होंने भगवान श्रीराम को समर्पित भक्ति गीतों की रचना की थी। उनके सर्वश्रेष्ठ गीत अक्सर धार्मिक आयोजनों में गाए जाते हैं। त्यागराज ने समाज एवं साहित्य के साथ-साथ कला को भी समृद्ध किया था। उनकी विद्वता उनकी हर कृति में झलकती है, हालांकि 'पंचरत्न' कृति को उनकी सर्वश्रेष्ठ रचना कहा जाता है। त्यागराज के जीवन का कोई भी पल श्रीराम से जुदा नहीं था। वह अपनी कृतियों में भगवान राम को मित्र, मालिक, पिता और सहायक बताते थे।
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राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।