Skip to main content

एकतारा

एकतारा

एकतारा अथवा इकतारा भारतीय संगीत का लोकप्रिय तंतवाद्य यंत्र है जिसका प्रयोग भजन या सुगम संगीत में किया जाता है। इसमें एक ही तार लगा होता है। भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और मिस्र के पारंपरिक संगीत में इसका प्रयोग होता है। इकतारा मूलतः भारतीय कवियों तथा घुमक्कड़ गवैयों द्वारा प्रयोग किया जाता था। निचला गुंजयमान यंत्र वे लौकी से बनाते थे, और ऊपर का गला बनाने के लिए बांस का प्रयोग करते थे। .

एकतारा को गुपिजंत्र भी कहा जाता है। इसमें एक ही तार होता है। इसे झारखंड क्षेत्र में अक्सर फकीर या साधुओं के पास देखा जा सकता है। भजन, भक्तिगीत गाने वाले साधु-सन्यासियों की पहचान एकतारा और उसकी आवाज से ही होती है। गायक को एकतारा से आधार स्वर मिलता है।

कैसे काम करता है एकतारा

एकतारा अथवा इकतारा भारतीय संगीत का लोकप्रिय तंतवाद्य यंत्र है जिसका प्रयोग भजन या सुगम संगीत में किया जाता है। इसमें एक ही तार लगा होता है।

इसके नीचे का हिस्सा खोखली लौकी या लकड़ी का बना होता है और उसका मुंह चमड़ा से मढ़ा रहता है। इसके दोनो तरफ से बांस की तीन फुट लम्बी खपच्चियां जुड़ी रहती हैं। एक लकड़ी की खूंटी बांस के उपरी हिस्से में रहती है। नीचे से उपर की खूंटी तक तार बंधा रहता है। तार को खूंटी के सहारे ही कसा जाता है। तर्जनी में पीतल या ताम्बा का त्रिकोण पहन कर उससे तारों को छेड़ा जाता है। बांये हाथ से बांस की खपच्चियों को दबा कर स्वर में उतार-चढ़ाव लाया जाता है।

Demo Video