भारतीय संगीत में आध्यात्मिकता स्रोत

भारतीय संगीत मूल रूप में ही आध्यात्मिक संगीत है। भारतीय संगीत को ईश्वर प्राप्ति का मार्ग माना है तो कहीं साक्षात ईश्वर माना गया है। अध्यात्म अर्थात व्यक्ति के मन को ईश्वर में लगाना व व्यक्ति को ईश्वर का साक्षात्कार कराना अध्यात्म कहलाता है संगीत को अध्यात्मिक अभिव्यक्ति का साधन मानकर संगीत की उपासना की गई है। संगीत को ईश्वर उपासना हेतु मन को एकाग्र करने का सबसे सशक्त माध्यम माना गया है। वेदों में उपासना मार्ग अत्यंत सहज तथा ईश्वर से सीधा सम्पर्क स्थापित करने का सरल मार्ग बताया है। संगीत ने भी उपासना मार्ग को अपनाया है।

कैसे जानें की आप अच्छा गाना गा सकते हैं

आप जब गाते हों तो हो सकता है की आपको लगता हो की बहुत अच्छा गाना गाते हैं लेकिन यह कैसे पता चले की आप सच में एक अच्छे गायक हैं । अगर आप अपनी आवाज़ को अच्छे से जांचना चाहते हों तो ऐसा आप कर सकते हैं । इसके लिए आपको बस अपने आप को ध्यान से सुनने की ज़रुरत है और औरों से अपनी आवाज़ के बारे में सुझाव लेना ज़रूरी है

गणित के सुंदर सूत्र, जैसे कोई संगीत जैसे कोई कविता

गणित को सबसे कठिन माना जाता है लेकिन एक ताज़ा शोध में पता चला है कि गणित के सूत्र में मौजूद अंकों और अक्षरों का जटिल सिलसिला मस्तिष्क में आनंद की वैसी ही अनुभूति पैदा करता है, जैसी एक शानदार कलाकृति को देखकर या महान संगीतज्ञों का संगीत सुनकर पैदा होती है,

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में ब्रेन स्कैनिंग के दौरान कुछ गणितज्ञों को 'अप्रिय' और 'सुंदर' समीकरणों को दिखाया गया.

शोधकर्ताओं ने पाया कि कला को सराहने में मस्तिष्क का जो हिस्सा सक्रिय होता है वही हिस्सा 'सुंदर' गणित से उत्प्रेरित होता है.

शोधकर्ताओं का कहना है कि सुंदरता के न्यूरोबायोलाजिकल कारण हो सकते हैं.

कथकली-केरल

* मुखौटा नृत्य इसी से सम्बंधित है ,( केवल पुरुष कलाकारों द्वारा)
* केरल के दक्षिण - पश्चिमी राज्‍य का एक समृद्ध और फलने फूलने वाला नृत्‍य कथकली यहां की परम्‍परा है। 
* कथकली का अर्थ है एक कथा का नाटक या एक नृत्‍य नाटिका। 
* कथा का अर्थ है कहानी, यहां अभिनेता रामायण और महाभारत के महाग्रंथों और पुराणों से लिए गए चरित्रों को अभिनय करते हैं।
* कथकली अभिनय, 'नृत्य' (नाच) और 'गीता' (संगीत) तीन कलाओं से मिलकर बनी एक संपूर्ण कला है। 

भरतनाट्यम् ― तमिलनाडु

भरत नाट्यम, भारत के प्रसिद्ध नृत्‍यों में से एक है तथा इसका संबंध दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्‍य से है
* भरत नाट्यम में नृत्‍य के तीन मूलभूत तत्‍वों को कुशलतापूर्वक शामिल किया गया है। 
* ये हैं भाव अथवा मन:स्थिति, राग अथवा संगीत और स्‍वरमार्धुय और ताल अथवा काल समंजन। 
* भरत नाट्यम की तकनीक में, हाथ, पैर, मुख, व शरीर संचालन के समन्‍वयन के 64 सिद्धांत हैं, जिनका निष्‍पादन नृत्‍य पाठ्यक्रम के साथ किया जाता है।

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

राग परिचय