তারপর শুনেছিলাম মঙ্গলেশ ডাবরালের রাগ দুর্গার প্রাণময় রচনা।

शास्त्रीय संगीत के विलक्षण कलाकार भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से अलंकृत पंडित भीमसेन जोशी नहीं रहे। कवि मंगलेश डबराल ने उन पर सुंदर भावपूर्ण रचना लिखी थी। वेबदुनिया पाठकों के लिए प्रस्तुत है मंगलेश डबराल की संवेदनशील रचना :

राग दुर्गा

সুব্বলক্ষ্মী, সাতটি নোটের প্রতিশব্দ

बहती नदी की कलकल ध्वनि की तरह सहज स्वरों में गाने वाली एमएस सुब्बलक्ष्मी ने भारतीय शास्त्रीय संगीत की गंभीरता में अपनी भक्तिमय भावनाओं को मिलाकर एक ऐसी मधुरता पैदा की जो आज भी श्रोताओं को आनंद से सराबोर कर देती है।

নাচে জীবনের প্রতিটি রঙ- মমতা শঙ্কর

जानी-मानी फिल्म अभिनेत्री एवं कोरिओग्राफर ममता शंकर हमेशा नया करने की धुन में लगी रहती हैं। नृत्य-कला इन्हें विरासत में मिली है। ममता, देश के मूर्धन्य शास्त्रीय नृत्य-कलाकार उदय शंकर एवं अमला शंकर की पुत्री हैं। मां-पिता की ऊंगली पकड़कर इन्होंने नृत्य की बारीकियां सीखीं और बाद में फिल्म अभिनेत्री के रूप में भी ममता ने अपनी एक अलग पहचान बनाई।

বিদুষী সবিতা দেবী

Vidushi Savita Devi also known as Savita Maharaj hailed from a well known musical family of Banaras Gharana that has produced many exponents of classical and light classical music during the last couple of centuries. Daughter of the late Padmashri Smt. Siddheshwari Devi, has not only inherited a rich tradition of classical music but was a vocalist of rare artistry in her own right. It will not be an exaggeration to say that she had her first lessons in the womb of her famous mother who was regarded as the reigning Queen of Thumri.

ভারতীয় সঙ্গীত বিশ্বে রঙ এনেছে

पंडित जसराज मानते हैं कि भारतीय शास्त्रीय संगीत पर पश्चिमी सभ्यता का कोई असर नहीं पड़ा है। इस संगीत को बढ़ावा देने के लिए वह अपने साथियों के साथ देश के कई शहरों में कार्यक्रमों की सीरिज शुरू की है। उनका खास इंटरव्यू...

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

राग परिचय