Skip to main content

गोरख कल्याण

यह एक बहुत ही मीठा और प्रभावशाली राग है। आरोह में तीन स्वर वर्ज्य होने के कारण इस राग की जाति सुरतर कहलाती है।

इस राग में मध्यम एक महत्वपूर्ण स्वर है जो इस राग का वादी और न्यास स्वर है। इसी कारण यह राग नारायणी से अलग हो जाता है, जिसमें न्यास और वादी स्वर पंचम है। गोरख कल्याण में मन्द्र सप्तक का कोमल निषाद एक न्यास स्वर है जो इस राग की पहचान है। आरोह में निषाद वर्ज्य है जिसके कारण यह राग बागेश्री से अलग हो जाता है। परन्तु कोमल निषाद को आरोह में अल्प स्वर के रूप में लगाते हैं जो इस राग की सुंदरता बढ़ाता है जैसे - ,ध ,नि१ रे सा या ,नि१ सा रे सा

अवरोह में धैवत से मध्यम तक आते समय पंचम का हल्का सा कण लगता है जैसे - ध (प)म या म (प)म। कुछ संगीतज्ञ पंचम को अवरोह में मुक्त रूप से लेने के पक्षधर हैं। यह एक गंभीर राग है, जिसका विस्तार तीनों सप्तकों में उन्मुक्त रूप से किया जा सकता है। इस राग में कल्याण अंग नहीं होता। यह स्वर संगतियाँ राग गोरख-कल्याण का रूप दर्शाती हैं -

सा रे म रे सा ,नि१ ; ,ध ,नि१ ,ध ,ध सा ; ,ध सा रे ; रे रे म म रे ; म म ध ; नि१ नि१ ध ; म ध म रे ; ,नि१ ,ध सा ; सा रे म रे ; म ध सा' ; सा' रे' रे' सा' नि१ ध ; म रे (प)म रे ; ,नि१ ,ध सा ; सा रे ,नि१ ,ध सा ; ,नि१ सा रे म रे ; रे म ध म ; म ध नि१ ध ; म ध सा' ; नि१ सा' रे' सा' ; ध नि१ ध म ; म (प)म ; रे सा ,नि१ ; रे ,नि१ ,ध सा ;

थाट

राग जाति

पकड़
रेम रेसाऩि॒ ऩि॒ध़सा
आरोह अवरोह
सारेमध नि॒धसां - सांनि॒धम धपम रेम रेसाऩि॒ध़सा
वादी स्वर
संवादी स्वर
सा

Comments

Pooja Mon, 19/04/2021 - 20:39

वादी: म
संवादी: सा
थाट: KHAMAJ
आरोह: सारेमध नि॒धसां
अवरोह: सांनि॒धम धपम रेम रेसाऩि॒ध़सा
पकड़: रेम रेसाऩि॒ ऩि॒ध़सा
रागांग: उत्तरांग
जाति: SHADAV-SHADAV
समय: रात्रि का द्वितीय प्रहर
विशेष: इस राग का कल्याण राग से कोई सम्बन्ध नहीं है। दुर्गा राग से बचाव के लिए साऩिध़सा, बागेश्री से बचाव हेतु रेमरेसाऩि॒ एवं केदार से बचाव के लिए रेंसांनि॒धसां का प्रयोग करना चाहिए।
 

संबंधित राग परिचय

गोरख कल्याण

यह एक बहुत ही मीठा और प्रभावशाली राग है। आरोह में तीन स्वर वर्ज्य होने के कारण इस राग की जाति सुरतर कहलाती है।

इस राग में मध्यम एक महत्वपूर्ण स्वर है जो इस राग का वादी और न्यास स्वर है। इसी कारण यह राग नारायणी से अलग हो जाता है, जिसमें न्यास और वादी स्वर पंचम है। गोरख कल्याण में मन्द्र सप्तक का कोमल निषाद एक न्यास स्वर है जो इस राग की पहचान है। आरोह में निषाद वर्ज्य है जिसके कारण यह राग बागेश्री से अलग हो जाता है। परन्तु कोमल निषाद को आरोह में अल्प स्वर के रूप में लगाते हैं जो इस राग की सुंदरता बढ़ाता है जैसे - ,ध ,नि१ रे सा या ,नि१ सा रे सा

अवरोह में धैवत से मध्यम तक आते समय पंचम का हल्का सा कण लगता है जैसे - ध (प)म या म (प)म। कुछ संगीतज्ञ पंचम को अवरोह में मुक्त रूप से लेने के पक्षधर हैं। यह एक गंभीर राग है, जिसका विस्तार तीनों सप्तकों में उन्मुक्त रूप से किया जा सकता है। इस राग में कल्याण अंग नहीं होता। यह स्वर संगतियाँ राग गोरख-कल्याण का रूप दर्शाती हैं -

सा रे म रे सा ,नि१ ; ,ध ,नि१ ,ध ,ध सा ; ,ध सा रे ; रे रे म म रे ; म म ध ; नि१ नि१ ध ; म ध म रे ; ,नि१ ,ध सा ; सा रे म रे ; म ध सा' ; सा' रे' रे' सा' नि१ ध ; म रे (प)म रे ; ,नि१ ,ध सा ; सा रे ,नि१ ,ध सा ; ,नि१ सा रे म रे ; रे म ध म ; म ध नि१ ध ; म ध सा' ; नि१ सा' रे' सा' ; ध नि१ ध म ; म (प)म ; रे सा ,नि१ ; रे ,नि१ ,ध सा ;

थाट

राग जाति

पकड़
रेम रेसाऩि॒ ऩि॒ध़सा
आरोह अवरोह
सारेमध नि॒धसां - सांनि॒धम धपम रेम रेसाऩि॒ध़सा
वादी स्वर
संवादी स्वर
सा

Comments

Pooja Mon, 19/04/2021 - 20:39

वादी: म
संवादी: सा
थाट: KHAMAJ
आरोह: सारेमध नि॒धसां
अवरोह: सांनि॒धम धपम रेम रेसाऩि॒ध़सा
पकड़: रेम रेसाऩि॒ ऩि॒ध़सा
रागांग: उत्तरांग
जाति: SHADAV-SHADAV
समय: रात्रि का द्वितीय प्रहर
विशेष: इस राग का कल्याण राग से कोई सम्बन्ध नहीं है। दुर्गा राग से बचाव के लिए साऩिध़सा, बागेश्री से बचाव हेतु रेमरेसाऩि॒ एवं केदार से बचाव के लिए रेंसांनि॒धसां का प्रयोग करना चाहिए।