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Nainheen ko Raah Dikha Prabhu ❤️ K L Saigal ❤️ D M Madhok ❤️ Gyan Dutt

Song: Nainheen ko raah dikha prabhu Film: Bhakt Surdas (1942) Lyrics: D N Madhok Music: Gyan Dutt Singer: K L Saighal Starring: K L Saighal and Khursheed Song tutorial by: SiNGER SANCHiTA More songs on RAAG DARBARI KANADA: * Dil jalta hai to jalne de * Dil ke armaa aansuon mein beh gaye * Ye duniya, ye mehfil mere kaam ki nahi * O duniya ke rakhwaale sun dardbhare mere * Suhaani chandni raatein hamein sone nahi detein * Satyam shivam sundaram *Follow me on Instagram: https://www.instagram.com/singersanchita/ *WEBSITE: https://inner-universe.wixsite.com/sanchitapandey E-mail: [email protected] * Check out my second channel: SiNGER SANCHiTA https://www.youtube.com/channel/UCp8iMzvREsrpq96eAC-bQAA * Books by Sanchita Pandey are available on Amazon: https://www.amazon.in/s?k=sanchita+pandey&ref=nb_sb_noss #RaagDarbariKanada #KLSaighal #DMMadhok

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राग

संबंधित राग परिचय

पीलू

पीलू

प ,नि सा ग१ ; ग१ रे सा ,नि ; ,नि सा - यह राग पीलू की राग वाचक स्वर संगती है। इस राग में कोमल गंधार और मन्द्र सप्तक के शुद्ध निषाद पर विश्रांति दी जाती है, जिससे पीलू राग एकदम प्रदर्शित होता है। इस राग में कोमल निषाद के साथ धैवत शुद्ध और शुद्ध निषाद के साथ धैवत कोमल लिया जाता है।

यह चंचल प्रकृति का राग है। यह करुणा तथा भक्ति रस प्रधान राग है। इसलिये यह राग ठुमरी व भजन के लिए उपयुक्त है। इस राग का विस्तार मन्द्र और मध्य सप्तक में विशेष रूप से किया जाता है। यह स्वर संगतियाँ राग पीलू का रूप दर्शाती हैं -

सा ; ग१ रे सा ,नि ; ,म ,प ,नि सा ग१ रे सा ; सा ,नि ,ध१ ,प ; ,प ,नि सा ग१ ; ग१ म प (म)ग१ ; ग१ (रे)सा ,नि ; सा ; सा ग ; ग म ग१ (रे)सा ; सा ग म प ; नि१ ध प ; ग म ध प ग१ रे सा ,नि ; सा ,नि सा रे ; सा ,नि ,ध ,प ; ,म ,प ,नि ,नि सा ;

थाट

राग जाति

पकड़
ऩिसाग॒ ऩिसा प़ध़॒ऩिसा
आरोह अवरोह
ऩिसागमपनि - सांनि॒धपग॒ रेसा
वादी स्वर
ग॒
संवादी स्वर
नि

राग

Comments

Pooja Mon, 19/04/2021 - 23:21

राग पीलू का परिचय
वादी: ग॒
संवादी: नि
थाट: KAFI
आरोह: ऩिसागमपनि
अवरोह: सांनि॒धपग॒ रेसा
पकड़: ऩिसाग॒ ऩिसा प़ध़॒ऩिसा
रागांग: पूर्वांग
जाति: AUDAV-SAMPURN
समय: दिन का तृतीय प्रहर
विशेष: सप्तक के बारहो स्वरों का प्रयोग होता है। उभय ऋषभ गन्धार निषाद का उपयोग।