Skip to main content

Naa jaao saiyaan chudaa ke baiyaan ❤️ Raag Pilu ❤️ Taal Keharva ❤️

Song: Na jao saiyan Lyrics: Shakeel Badayuni Music: Hemant Kumar Film: Sahib,biwi aur ghulaam (1962) Singer: Geeta Dutt Director: Abrar Alvi Voice and Tutorial by: Sanchita Pandey Raag: Raag Pilu Taal: Keharva taal (8 beats) Starring: Guru Dutt, Meena Kumari, Waheeda Rehman, Sapru, Rehman, Dhumal * You are welcome to contribute for the growth of your favourite Youtube channel. Press on the LINK given below and choose your own method of payment! https://rzp.io/l/SanchitaPandey *Follow me on Instagram: https://www.instagram.com/singersanchita/ *WEBSITE: https://inner-universe.wixsite.com/sanchitapandey E-mail: [email protected] * Check out my second channel on YouTube: INNER UNIVERSE COMMUNITY https://youtube.com/c/InnerUniverseCommunity * Books by Sanchita Pandey are available on Amazon: https://www.amazon.in/s?k=sanchita+pandey&ref=nb_sb_noss #SanchitaPandey #InnerUniverseCommunity #GeetaDutt #music #oldsuperhitsong #ShakeelBadayuni #HemantKumar

Category

राग

संबंधित राग परिचय

पीलू

पीलू

प ,नि सा ग१ ; ग१ रे सा ,नि ; ,नि सा - यह राग पीलू की राग वाचक स्वर संगती है। इस राग में कोमल गंधार और मन्द्र सप्तक के शुद्ध निषाद पर विश्रांति दी जाती है, जिससे पीलू राग एकदम प्रदर्शित होता है। इस राग में कोमल निषाद के साथ धैवत शुद्ध और शुद्ध निषाद के साथ धैवत कोमल लिया जाता है।

यह चंचल प्रकृति का राग है। यह करुणा तथा भक्ति रस प्रधान राग है। इसलिये यह राग ठुमरी व भजन के लिए उपयुक्त है। इस राग का विस्तार मन्द्र और मध्य सप्तक में विशेष रूप से किया जाता है। यह स्वर संगतियाँ राग पीलू का रूप दर्शाती हैं -

सा ; ग१ रे सा ,नि ; ,म ,प ,नि सा ग१ रे सा ; सा ,नि ,ध१ ,प ; ,प ,नि सा ग१ ; ग१ म प (म)ग१ ; ग१ (रे)सा ,नि ; सा ; सा ग ; ग म ग१ (रे)सा ; सा ग म प ; नि१ ध प ; ग म ध प ग१ रे सा ,नि ; सा ,नि सा रे ; सा ,नि ,ध ,प ; ,म ,प ,नि ,नि सा ;

थाट

राग जाति

पकड़
ऩिसाग॒ ऩिसा प़ध़॒ऩिसा
आरोह अवरोह
ऩिसागमपनि - सांनि॒धपग॒ रेसा
वादी स्वर
ग॒
संवादी स्वर
नि

राग

Comments

Pooja Mon, 19/04/2021 - 23:21

राग पीलू का परिचय
वादी: ग॒
संवादी: नि
थाट: KAFI
आरोह: ऩिसागमपनि
अवरोह: सांनि॒धपग॒ रेसा
पकड़: ऩिसाग॒ ऩिसा प़ध़॒ऩिसा
रागांग: पूर्वांग
जाति: AUDAV-SAMPURN
समय: दिन का तृतीय प्रहर
विशेष: सप्तक के बारहो स्वरों का प्रयोग होता है। उभय ऋषभ गन्धार निषाद का उपयोग।