Rag Durga राग दुर्गा
भारतीय शास्त्रीय संगीत पर आधारित ये संगीतमय कार्यक्रम राग दुर्गा की बंदिश, सरगम, आरोह, अवरोह, गत, और गायन समय के बारे में बताता है|
Playlist
- Rag Ras Barse Audio Book NCERT (Class 8)
Rag Ras Barse Audio Book NCERT (Class 8)
Category
राग
- 47 views
संबंधित राग परिचय
दुर्गा
रात्रि के रागों में राग दुर्गा बहुत मधुर और सब लोगों का प्रिय राग है। रे रे म रे; ,ध ,ध सा - यह स्वर संगती राग को स्पष्ट बनाती है। सभी शुद्ध स्वर लगने के बावजूद इस राग का एक विशिष्ट वातावरण पैदा होता है जो की स्थाई प्रभाव डालने में समर्थ है। यह मूलतः दक्षिण भारतीय संगीत का राग है जो उत्तर भारतीय संगीत में भी लोकप्रिय हुआ है। मध्यम स्पष्ट लगने से यह राग खिलता है। इस राग में अवरोह में पंचम पर विश्रांति नही देनी चाहिये।
इस राग की प्रकृति न तो अधिक गंभीर है और न ही अधिक चंचल। इसमें ख्याल, तराने आदि गाये जाते हैं। यह स्वर संगतियाँ राग दुर्गा का रूप दर्शाती हैं -
रे म प ध; प ध म; म प ध ध म; ध म प ध सा'; ध ध सा'; सा' ध ध म; म प ध ; म रे ; ,ध सा;
थाट
राग जाति
गायन वादन समय
राग के अन्य नाम
Tags
राग
- Log in to post comments
- 6226 views
राग दुर्गा का परिचय
राग दुर्गा का परिचय
वादी: ध
संवादी: रे
थाट: BILAWAL
आरोह: सारेमपधसां
अवरोह: सांधपमरेसा
पकड़: मपध म रेपम रेधसा
रागांग: उत्तरांग
जाति: AUDAV-AUDAV
समय: रात्रि का द्वितीय प्रहर
विशेष: कर्नाटिक संगीत में यह शुद्धसावेरी नाम से प्रचलित है। वर्जित-ग नि। कुछ लोग vadi-M samvadi-S मानते हैं। इसमें धम रेप रेध की संगति विशेष है।