Hindi
Raag Durga
Anand
Fri, 29/04/2022 - 08:55
संबंधित राग परिचय
दुर्गा
Raagparichay
Mon, 25/10/2021 - 10:17
रात्रि के रागों में राग दुर्गा बहुत मधुर और सब लोगों का प्रिय राग है। रे रे म रे; ,ध ,ध सा - यह स्वर संगती राग को स्पष्ट बनाती है। सभी शुद्ध स्वर लगने के बावजूद इस राग का एक विशिष्ट वातावरण पैदा होता है जो की स्थाई प्रभाव डालने में समर्थ है। यह मूलतः दक्षिण भारतीय संगीत का राग है जो उत्तर भारतीय संगीत में भी लोकप्रिय हुआ है। मध्यम स्पष्ट लगने से यह राग खिलता है। इस राग में अवरोह में पंचम पर विश्रांति नही देनी चाहिये।
इस राग की प्रकृति न तो अधिक गंभीर है और न ही अधिक चंचल। इसमें ख्याल, तराने आदि गाये जाते हैं। यह स्वर संगतियाँ राग दुर्गा का रूप दर्शाती हैं -
रे म प ध; प ध म; म प ध ध म; ध म प ध सा'; ध ध सा'; सा' ध ध म; म प ध ; म रे ; ,ध सा;
थाट
राग जाति
गायन वादन समय
आरोह अवरोह
सा रे म प ध सा' - सा' ध प ध म रे सा ,ध सा;
वादी स्वर
मध्यम/षड्ज
संवादी स्वर
मध्यम/षड्ज
राग के अन्य नाम
Tags
राग
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राग दुर्गा का परिचय
राग दुर्गा का परिचय
वादी: ध
संवादी: रे
थाट: BILAWAL
आरोह: सारेमपधसां
अवरोह: सांधपमरेसा
पकड़: मपध म रेपम रेधसा
रागांग: उत्तरांग
जाति: AUDAV-AUDAV
समय: रात्रि का द्वितीय प्रहर
विशेष: कर्नाटिक संगीत में यह शुद्धसावेरी नाम से प्रचलित है। वर्जित-ग नि। कुछ लोग vadi-M samvadi-S मानते हैं। इसमें धम रेप रेध की संगति विशेष है।