राग पुरिया धनश्री | राशिद खान
Puriya Dhanashree is a rāga in Hindustani classical music. It belongs to the Poorvi Thaat and has been derived from the Janak raga. Born on 1st July 1966, Ustad Rashid Khan is an Indian Classical musician in the tradition of Hindustani Music. His first concert was at the age of eleven. He joined the ITC Sangeet Research Academy (SRA) at the age of fourteen. He experiments a lot by fusing Hindustani music with lighter musical genres like a Sufi fusion. He was awarded with Padma Shri in 2006 for his contribution and dedication towards Indinan Music. Apart from this, he has won a number of awards and continues to perform in many musical festivals and concerts across the globe.
पुरिया धनश्री हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का एक राग है। यह पूर्वी थाट से संबंधित है और जनक राग से लिया गया है।
1 जुलाई 1966 को जन्मे उस्ताद राशिद खान हिंदुस्तानी संगीत की परंपरा में एक भारतीय शास्त्रीय संगीतकार हैं। उनका पहला संगीत कार्यक्रम ग्यारह साल की उम्र में था। वह चौदह वर्ष की आयु में आईटीसी संगीत अनुसंधान अकादमी (एसआरए) में शामिल हो गए। उन्होंने हिंदुस्तानी संगीत को सूफी फ्यूजन जैसी हल्की संगीत शैलियों के साथ जोड़कर बहुत प्रयोग किया। भारतीय संगीत के प्रति उनके योगदान और समर्पण के लिए उन्हें 2006 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा, उन्होंने कई पुरस्कार जीते हैं और दुनिया भर में कई संगीत समारोहों और संगीत समारोहों में प्रदर्शन करना जारी रखते हैं।
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संबंधित राग परिचय
पूरिया धनाश्री
राग पूरिया धनाश्री एक सायंकालीन संधि प्रकाश राग है। यह करुणा रस प्रधान गंभीर राग है। इसका निकटतम राग पूर्वी है, जिसमें दोनों मध्यम का प्रयोग किया जाता है।
राग पूरिया धनाश्री में पंचम बहुत महत्वपूर्ण स्वर है जिसके चारों ओर यह राग केंद्रित होता है। उत्तरांग में आरोह में पंचम का प्रयोग कम किया जाता है। इसी तरह अवरोह में भी कभी कभी पंचम को छोड़ते हैं जिससे राग का सौंदर्य निखर जाता है जैसे - ,नि रे१ ग म् प ; प ध१ प ; प ध१ म् प ; म् ग ; म् ध१ नि सा' ; नि रे' नि ध१ प ; म् ध म् ग रे१ ; ग म् रे१ ग रे१ सा। आरोह और अवरोह दोनों में कभी कभी षड्ज को छोड़ा जाता है जैसे - ,नि रे१ ग म् प ; म् ध१ नि सा' ; नि रे१' ग' ; ग' रे१' सा' ; नि रे१' नि ध१ प ; ध१ प म् प ; म् ग म् रे१ ग ; रे सा। आलाप और तानों का प्रारंभ अधिकतर निषाद से किया जाता है।
प म् ग म् रे१ ग - यह इस राग की राग वाचक स्वर संगती है। यह स्वर संगतियाँ राग पूरिया धनाश्री का रूप दर्शाती हैं -
,नि रे१ ग ; ग म् ग ; म् प ध१ प ध१ म् प ; म् ग म् रे१ ग ; ग रे१ म् ग रे१ सा ; ,नि रे१ सा ,नि रे१ ग ; ग म् म् ग रे१ ग रे१ ग म् प ; म् ग म् रे१ ; रे१ ग ; रे१ ग म् प ध१ प ध१ म् प ; प ध१ प म् ग ; म् रे१ ग ; ,नि रे१ म् ग रे१ ग ; रे१ सा ; ,ध१ ,नि रे१ ग ; म् ध१ नि सा' ; सा' नि रे१' सा' ; रे१' नि ध१ प ; प ध१ प म् ध१ प ; ध१ प म् ग म् रे१ ग रे१ सा ; प ध१ प म् ग म् ध१ नि सा' ; नि रे१' सा' ; ध१ नि रे१' ग' ग' रे१' सा' ; नि रे१' नि ध१ ; प ध१ प म् ; ग म् रे१ ग ; रे१ ग म् प ध१ प म् ; ग म् रे१ ग रे१ सा;
थाट
राग जाति
गायन वादन समय
राग के अन्य नाम
Tags
राग
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राग पुरिया धनाश्री का परिचय
राग पुरिया धनाश्री का परिचय
वादी: प
संवादी: सा
थाट: PURVI
आरोह: ऩिरे॒गम॓पध॒निसां
अवरोह: सांनिध॒पम॓गरे॒सा
पकड़: म॓रे॒गप, रे॒ऩिध़॒प़
रागांग: पूर्वांग
जाति: SAMPURN-SAMPURN
समय: Day का