वसुंधरा कोमकली

वसुंधरा कोमकली (1931–2015), जिन्हें वसुंधरा ताई के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय शास्त्रीय संगीतकार थीं। और ग्वालियर घराने के प्रमुख प्रतिपादकों में से एक, हिंदुस्तानी संगीत की एक पुरानी ख़्याल परंपरा थी। वह प्रसिद्ध संगीतकार, कुमार गंधर्व की पत्नी थीं,और 2009 संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार विजेता थीं।[2] भारत सरकार ने उन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत में उनके योगदान के लिए 2006 में पद्म श्री, देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया।

भारतीय शास्‍त्रीय नृत्‍य

साहित्‍य में पहला संदर्भ वेदों से मिलता है, जहां नृत्‍य व संगीत का उदगम है । नृत्‍य का एक ज्‍यादा संयोजित इतिहास महाकाव्‍यों, अनेक पुराण, कवित्‍व साहित्‍य तथा नाटकों का समृद्ध कोष, जो संस्‍कृत में काव्‍य और नाटक के रूप में जाने जाते हैं, से पुनर्निर्मित किया जा सकता है । शास्‍त्रीय संस्‍कृत नाटक (ड्रामा) का विकास एक वर्णित विकास है, जो मुखरित शब्‍द, मुद्राओं और आकृति, ऐतिहासिक वर्णन, संगीत तथा शैलीगत गतिविधि का एक सम्मिश्रण है । यहां 12वीं सदी से 19वीं सदी तक अनेक प्रादेशिक रूप हैं, जिन्‍हें संगीतात्‍मक खेल या संगीत-नाटक कहा जाता है । संगीतात्‍मक खेलों में से वर्तमान शास्‍त्रीय नृत्‍य-रूपों

मणिपुर क्षेत्र से आया शास्‍त्रीय नृत्‍य मणिपुरी नृत्‍य है

पूर्वोत्तर के मणिपुर क्षेत्र से आया शास्‍त्रीय नृत्‍य मणिपुरी नृत्‍य है। 
* मणिपुरी नृत्‍य भारत के अन्‍य नृत्‍य रूपों से भिन्‍न है।
* इसमें शरीर धीमी गति से चलता है, सांकेतिक भव्‍यता और मनमोहक गति से भुजाएँ अंगुलियों तक प्रवाहित होती हैं। 
* यह नृत्‍य रूप 18वीं शताब्‍दी में वैष्‍णव सम्‍प्रदाय के साथ विकसित हुआ जो इसके शुरूआती रीति रिवाज और जादुई नृत्‍य रूपों में से बना है।
* विष्‍णु पुराण, भागवत पुराण तथा गीत गोविंदम की रचनाओं से आई विषयवस्तुएँ इसमें प्रमुख रूप से उपयोग की जाती हैं।

भारत के शास्त्रीय व लोक नृत्य

शास्त्रीय नृत्य राज्य
भरतनाट्यम तमिलनाडु
कथकली केरल
मोहिनीअट्टम केरल
ओडिसी उड़ीसा
कुचिपुड़ी आंध्र प्रदेश
मणिपुरी मणिपुर
कथक उत्तर भारत मुख्य रूप से यू.पी.
सत्त्रिया नृत्य असम

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

राग परिचय