हिन्दू धर्म का संगीत से नाता का?
हिन्दू धर्म का नृत्य, कला, योग आणि संगीत से गहरा नाता रहा. हिन्दू धर्म मानता आहे कि ध्वनि आणि शुद्ध प्रकाश से ही ब्रह्मांड की रचना आहे. आत्मा हे जगत आहे. संपूर्ण वेद, स्मृति, पुराण आणि गीता आदि धार्मिक ग्रंथांमध्ये धर्म, अर्थ, काम आणि मोक्ष साधने के हजारोहजार उपाय गेले. एक उपाय आहे संगीत. संगीत की कोणतीही भाषा नाही होती. संगीत आत्मा के सर्वात जवळ होता. शब्दांमध्ये बंधा संगीत विकृत संगीत माना जाते.
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ഭാരതത്തിൻ്റെ ശാസ്ത്രിയ വ ലോക നൃത്യ
शास्त्रीय नृत्य | राज्य |
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भरतनाट्यम | तमिलनाडु |
कथकली | केरल |
मोहिनीअट्टम | केरल |
ओडिसी | उड़ीसा |
कुचिपुड़ी | आंध्र प्रदेश |
मणिपुरी | मणिपुर |
कथक | उत्तर भारत मुख्य रूप से यू.पी. |
सत्त्रिया नृत्य | असम |
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ഭാരതീയ ശാസ്ത്രിയ നൃത്യ
साहित्य में पहला संदर्भ वेदों से मिलता है, जहां नृत्य व संगीत का उदगम है । नृत्य का एक ज्यादा संयोजित इतिहास महाकाव्यों, अनेक पुराण, कवित्व साहित्य तथा नाटकों का समृद्ध कोष, जो संस्कृत में काव्य और नाटक के रूप में जाने जाते हैं, से पुनर्निर्मित किया जा सकता है । शास्त्रीय संस्कृत नाटक (ड्रामा) का विकास एक वर्णित विकास है, जो मुखरित शब्द, मुद्राओं और आकृति, ऐतिहासिक वर्णन, संगीत तथा शैलीगत गतिविधि का एक सम्मिश्रण है । यहां 12वीं सदी से 19वीं सदी तक अनेक प्रादेशिक रूप हैं, जिन्हें संगीतात्मक खेल या संगीत-नाटक कहा जाता है । संगीतात्मक खेलों में से वर्तमान शास्त्रीय नृत्य-रूपों
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മണിപ്പുർ ക്ഷേത്രം സേ ആയ ശാസ്ത്രിയ നൃത്യ മണിപുരി നൃത്യ ഹേ
പൂർവോത്തറിൻ്റെ മണിപ്പുർ ക്ഷേത്രം സേ ആയ ശാസ്ത്ര നൃത്യ മണിപുരി നൃത്യം ഉണ്ട്.
*മണിപുരി നൃത്യ ഭാരതം അന്യ നൃത്യ രൂപങ്ങൾ സേ ഭിന്നം.
*ഇതുപോലെ ശരീര ധീമി ഗതി സേ ചലത ഹൈ, സാങ്കേതിക ഭാവ്യത കൂടാതെ മനമോഹകും ഗതിയും പ്രവാഹിത് ഹോതി ഉണ്ട്.
* യഹ് നൃത്യ രൂപം 18വീം ശതാബ്ദിയിൽ വൈഷ്ണവ സമ്ബ്രദായത്തിൽ വികസിപ്പിച്ചെടുത്തു ഈതി റിവാസ്, ജാദുഇ നൃത്യ രൂപങ്ങൾ എന്നിവയിൽ ഉൾപ്പെടുന്നു.
*വിഷ്ണു പുരാണം, ഭാഗവത പുരാണം തഥാ ഗീത ഗോവിന്ദം കി രചനയോം ഐ രൂപ സേ ഉപയോഗം ജാതി ഉണ്ട്.
* മണിപ്പുർ കി മെയ്റ്റി ജനജാതി കി ദന്ത കഥകൾ പിണ്ഡ കെ സമാന് തീ.
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ധ്രുപദ് ഒരു സമൃദ്ധ് ഗായൻ ശൈലീ
ध्रुपद समृद्ध भारत की समृद्ध गायन शैली हैं ,प्राय : देखा गया हैं की ख्याल गायकी सुनने वाले भी ध्रुपद सुनना खास पसंद नही करते। कुछ वरिष्ठ संगीतंघ्यो ने इस गौरवपूर्ण विधा को बचाने का बीड़ा उठाया हैं,इसलिए आज भी यह गायकी जीवंत हैं और कुछ समझदार ,सुलझे हुए विद्यार्थी इसे सीख रहे हैं , ध्रुपद का शब्दश: अर्थ होता हैं ध्रुव+पद अर्थात -जिसके नियम निश्चित हो,अटल हो ,जो नियमो में बंधा हुआ हो।
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राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।