പല രോഗങ്ങളും സംഗീതത്തിലൂടെ സുഖപ്പെടുത്തുന്നു
बीमारियों का इलाज अब सिर्फ दवाइयों से ही नहीं, बल्कि अपरंपरागत उपचार विधियों से भी किया जाने लगा है। सुगंध, स्पर्श से लेकर संगीत द्वारा भी बहुत सी बीमारियों का इलाज किया जाने लगा है। बहुत से शोधों के उपरांत चिकित्सा विज्ञान भी यह मानने लगा हैं कि प्रतिदिन 20 मिनट अपनी पसंद का संगीत सुनने से रोजमर्रा की होने वाली बहुत-सी बीमारियों से निजात पाई जा सकती है।
हाल ही में खबर आई है कि कई दिनों से कोमा में पड़ा एक बच्चा अपनी मां की लोरी सुनकर होश में आ गया। यह सिद्ध करता है कि ध्वनि तरंगों के माध्यम से भी उपचार किया जा सकता है।
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മസർ അലി ഖാൻ
Ustad Mazhar Ali Khan is an Indian classical and light classical vocalist of Patiala gharana. He is a grandson of the doyen of the Patiala Gharana, Ustad Bade Ghulam Ali Khan. He has performed in India, Pakistan, and North America with his brother Ustad Jawaad Ali Khan.
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പുഷ്കർ ലെലെ
Pushkar Lele (born 14 November 1979) is a Hindustani Classical Vocalist. He is best known for his 'Kumar Gandharva Style Gayaki (singing)'.
Early life
Lele, a child prodigy, was introduced to the world of music while in kindergarten when his aunt gifted him a toy harmonium. He would play National Anthem and other nursery rhymes on the toy harmonium.[1] This is when his mother noticed his musical talent and started his formal music training in light music under Ms. Medha Gandhe.[2]
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മുകുൾ കുൽക്കർണി
Mukul Kulkarni is an Indian classical vocalist. He is disciple of Arun Kashalkar (Agra-Gwalior gharana) and Sharad Sathe (Gwalior gharana). He is an 'A' grade artist of All India Radio. Mukul Kulkarni performs around India and abroad
Training
Mukul started learning classical vocal at the age of 10 years under N. G. Paramane.[5] Mukul was awarded a scholarship from Center for Cultural Resources and Training, New Delhi. Then, during Mukul's engineering studies, he studied under Sukhada Kane, disciple of Limaye and Kane.[5]
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എന്തുകൊണ്ടാണ് അന്താരാഷ്ട്ര നൃത്ത ദിനം ആഘോഷിക്കുന്നത്?
अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस की शुरुआत 29 अप्रैल 1982 से हुई. यह एक महान रिफ़ोर्मर जीन जॉर्ज नावेरे के जन्म की स्मृति में मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि आज से 2000 वर्ष पूर्व देवताओ के कहने पर ब्रम्हाजी ने नृत्य वेद तैयार किया तभी से नृत्य की उत्पत्ति मानी जाती है. जब नृत्य वेद की रचना पूरी हुई, तब नृत्य करने का अभ्यास भरतमुनि के सौ पुत्रो ने किया. इस नृत्य वेद में सामवेद, अथर्ववेद, ऋग्वेद और यजुर्वेद की कई चीजों को शामिल किया गया.
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राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।