സലാമത്ത് അലി ഖാൻ
Salamat Ali Khan (12 December 1934 – 11 July 2001[4]) was a Pakistani vocalist and touring artist known for his contribution to the Hindustani classical music.[5] Widely regarded as one of the greatest classical singers of the subcontinent,[6] he was active in music industry, particularly in classical music after the partition of the Indian subcontinent, however he earned his recognition before migrated to Pakistan. In 1969, he appeared in Edinburgh Festival, leading him to earn international recognition.
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ഇന്ത്യൻ സംഗീതത്തെക്കുറിച്ച് അറിയാം
संगीत हम सभी को लुभाता है। कहा जाता है कि संगीत के पीछे खुदा चलता है। संगीत की महत्ता इसी बात से पता चल जाती है। शायद ही कोई व्यक्ति होगा, जिसे संगीत पसंद न हो। आइए संगीत के बारे में हम जानते हैं।
भारतीय संगीत प्राचीनकाल से ही सुना जाता रहा है। इस संगीत का मूल स्रोत वेदों को माना जाता है। हिन्दू परंपरानुसार ब्रह्मा ने नारद मुनि को संगीत वरदान स्वरूप दिया था।
संगीत के स्वर भारतीय संगीत के सात शुद्ध स्वर होते हैं। ये हैं- षड्ज (सा), ऋषभ (रे), गंधार (ग), मध्यम (म), पंचम (प), धैवत (ध), निषाद (नी)।
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കുമാർ സാനു
कुमार सानू हिंदी सिनेमा के एक जानेमाने पार्श्व गायक हैं। 20 अक्टूबर, 1957 को कोलकता में जन्मे कुमार सानू का मूल नाम केदारनाथ भट्टाचार्य है। उनके पिताजी स्वयं एक अच्छे गायक और संगीतकार थे। उन्होंने ही कुमार सानू को गायकी और तबला वादन सिखाया था। गायक किशोर कुमार को अपना आदर्श मानने वाले सानू ने गायकी में अपना खुद का अलग अंदाज़ बनाये रखा है।
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അമീർ ഖുസ്രോ ജീവചരിത്രം
अबुल हसन अमीर ख़ुसरु चौदहवीं सदी के आसपास दिल्ली के पास रहने वाले एक प्रमुख कवि (शायर), गायक और संगीतकार थे। खुसरो को हिन्दुस्तानी खड़ीबोली का पहला लोकप्रिय कवि माना जाता है।किसके द्वारा? वे अपनी पहेलियों और मुकरियों के लिए जाने जाते हैं। सबसे पहले उन्हीं ने अपनी भाषा को हिन्दवी का उल्लेख किया था। वे फारसी के कवि भी थे। उनको दिल्ली सल्तनत का आश्रय मिला हुआ था। उनके ग्रंथो की सूची लम्बी है। साथ ही इनका इतिहास स्रोत रूप में महत्त्व है।
आरंभिक जीवन :
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രാഹുൽ ദേവ് ബർമൻ
राहुल देव बर्मन हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध संगीतकार थे। इन्हें पंचम या 'पंचमदा' नाम से भी पुकारा जाता था। मशहूर संगीतकार सचिन देव बर्मन व उनकी पत्नी मीरा की ये इकलौती संतान थे। अपनी अद्वितीय सांगीतिक प्रतिभा के कारण इन्हें विश्व के सर्वश्रेष्ठ संगीतकारों में एक माना जाता है। माना जाता है कि इनकी शैली का आज भी कई संगीतकार अनुकरण करते हैं। पंचमदा ने अपनी संगीतबद्ध की हुई 18 फिल्मों में आवाज़ भी दी। भूत बंगला (1965 ) और प्यार का मौसम (1969) में इन्होने अभिनय भी किया।
आरम्भिक जीवन :
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राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।