ഭാരത് നെ സംഗീതം കോ ബഹുത ഊഞ്ചൈ ദി ഹേ
भारत ने संगीत को बहुत ऊंचाई दी है. यहाँ संगीत और उसके वाद्य यंत्रो को महज मनोरंजन तक सीमित नहीं रखा गया बल्कि उसे मंदिर और मठ से होते हुए विज्ञान की प्रयोगशाला तक ले जाया गया.
जयपुर के अब्दुल अजीज को संगीत की तालीम विरासत में मिली है. लेकिन उन्होंने अपना समय वाद्य यंत्रो के संरक्षण और संग्रह को समर्पित कर दिया.
अजीज का घर नायाब वाद्य यंत्रो से पटा पड़ा है.
उनके पास कोई 600 से ज्यादा साज है. इनमें बौद्धकाल से लेकर मुगल और राजपूत राजाओं के समय के साज शामिल है. अजीज खोज-खोज कर वाद्य यंत्रो का संग्रह करते रहते हैं.
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രാഗത്തിൽ ജാതി കി ഭാഷ
राग विवरण मे सुनते है अमुक राग अमुक जाति का है। "जाति" शब्द राग मे प्रयोग किये जाने वाले स्वरों की संख्या का बोध कराती है । रागों मे जातियां उनके आरोह तथा अवरोह मे प्रयोग होने वाले स्वरों की संख्या पर निर्धारित होती है।
दामोदर पंडित द्वारा रचित संगीत दर्पण मे कहा गया है……
ओडव: पंचभि:प्रोक्त: स्वरै: षडभिश्च षाडवा।
सम्पूर्ण सप्तभिर्ज्ञेय एवं रागास्त्रिधा मत: ॥
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ഗോത്ര, നാടോടി സംഗീതം
जनजातीय और लोक संगीत उस तरीके से नहीं सिखाया जाता है जिस तरीके से भारतीय शास्त्रीय संगीत सिखाया जाता है । प्रशिक्षण की कोई औपचारिक अवधि नहीं है। छात्र अपना पूरा जीवन संगीत सीखने में अर्पित करने में समर्थ होते हैं । ग्रामीण जीवन का अर्थशास्त्र इस प्रकार की बात के लिए अनुमति नहीं देता । संगीत अभ्यासकर्ताओं को शिकार करने, कृषि अथवा अपने चुने हुए किसी भी प्रकार का जीविका उपार्जन कार्य करने की इजाजत है।
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भरतनाट्यम् ― तमिलनाडु
भरत नाट्यम, भारत के प्रसिद्ध नृत्यों में से एक है तथा इसका संबंध दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य से है
* भरत नाट्यम में नृत्य के तीन मूलभूत तत्वों को कुशलतापूर्वक शामिल किया गया है।
* ये हैं भाव अथवा मन:स्थिति, राग अथवा संगीत और स्वरमार्धुय और ताल अथवा काल समंजन।
* भरत नाट्यम की तकनीक में, हाथ, पैर, मुख, व शरीर संचालन के समन्वयन के 64 सिद्धांत हैं, जिनका निष्पादन नृत्य पाठ्यक्रम के साथ किया जाता है।
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रागदारी: शास्त्रीय संगीत में घरानों का मतलब
शास्त्रीय संगीत में घरानों की परंपरा बड़ी पुरानी है. आपने जब भी किसी शास्त्रीय कलाकार का नाम सुना होगा ज्यादातर मौकों पर उसके साथ एक घराने का नाम भी सुना होगा. घराना शब्द हिंदी के घर और संस्कृत के गृह शब्द से बना है. क्या आपने कभी सोचा कि इन घरानों का मतलब क्या है? दरअसल इस सवाल का जवाब बहुत आसान है. घराने से सीधा मतलब है एक विशेष किस्म की गायकी.
भारतीय शास्त्रीय संगीत में तमाम घराने हुए हैं. हर घराने में थोड़ा बहुत फर्क है. ये फर्क गायकी के अंदाज से लेकर बंदिशों तक में दिखाई और सुनाई देता है. |
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राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।