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कल मुझे कहा गया की मैं संगीत विषयक जानकारी देने के साथ ही शास्त्रीय संगीत का बेसिक भी बताती चलू . वैसे तो मैंने अभी तक जो भी बताया हैं ,वह शास्त्रीय संगीत की वही जानकारी थी जो एक संगीत रसिक जानना चाहता हैं ,मैंने संगीत की उत्पत्ति ,राग ,वाद्य ,गायन आदि के बारे में लिखा,पर कल की टिप्पणी से मुझे लगा की अभी और बेसिक जानकारी दी जानी चाहिए ,इसलिए आज हम एकदम शुरू से शुरू करते हैं .
सभी जानते हैं की संगीत में सात स्वर होते हैं ,सा रे ग म प ध नि.इन्ही स्वरों के आधार लेकर शास्त्रीय संगीत की पुरी ईमारत खड़ी हैं ,ये सात मूल स्वर होते हैं ,साथ ही इनकी श्रुतिया उपर निचे जाने से कोमल विकृत स्वर बनते हैं ,इस प्रकार कुल १२ स्वर होते हैं,अब आप पुछंगे की ये श्रुतिया क्या हैं ?श्रुति अर्थात बारीक़ बारीक़ बारीक़ स्वर ,जब हम एक स्वर से दुसरे स्वर को जाते हैं तो बीच में कई बहुत बारीक़ स्वर भी लगते हैं ,कुल मिलकर २२ श्रुतिया बताई गई हैं ,
किसी स्वर की आवाज़ को मानले- ग को हम निचे घटाके गाते हैं . तो वह कोमल स्वर होता हैं और जिसको हम बढा कर गाते हैं जैसे -म तो वह तीव्र स्वर बन जाता हैं .
शास्त्रीय संगीत में एक चीज़ होती हैं ठाठ ,ठाठ वह जिससे राग उत्पन्न होता हैं,नाद से स्वर ,स्वर से सप्तक ,और सप्तक से ठाठ उत्पन्न होता हैं,शुध्ध विकृत सप्तक से अलग अलग ठाठ बने हैं ,और ठाठ से उत्प्प्न होता हैं राग .भातखंडे जी ने समस्त रागों के १० ठाठ बताये हैं ,जो की हैं -यमन ,बिलावल,खमाज,भैरव,पूर्वी,मारवा ,काफी ,आसावरी,भैरवी ,और तोडी .
राग के बारे में पहले भी मैंने बताया हैं ,जिसमे स्वर वर्ण हो वह राग,जैसे राग यमन का उदाहरन ले -
राग यमन में सातों स्वर लगते हैं सब स्वर शुध्ध केवल नि कोमल होता हैं,यह राग बहुत ही मधुर हैं ,इसका गायन समय रात्रि का प्रथम प्रहर हैं -लीजिये सुनिए राग यमन में एक सुंदर गीत -जीवन डोर तुम्ही संग बांधी--
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