झांझ
करताल का बड़ा आकार ही झांझ कहलाता है। आकार में बड़ा होने की वजह से इसकी आवाज में करताल से ज्यादा गूंज होती है। थाला कांसा से निर्मित थाली होती है। इसका गोलाकार किनारा दो-तीन इंच उठा हुआ होता है। बीच में छेद होता है, जिसमें रस्सी पिरोकर झुलाया जाता है। बायें हाथ से रस्सी थाम कर हाथ दायें से इसे भुट्टे की खलरी से बजाया जाता है।
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कच्छी घोड़ी नृत्य
कच्छी घोड़ी नृत्य भारतीय राज्य राजस्थान का एक लोकनृत्य है। यह राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र से आरम्भ हुआ नृत्य है। यह केवल राजस्थान ही नहीं बल्कि भारत के अन्य भागों जैसे महाराष्ट्र, गुजरात आदि में भी प्रसिद्ध है। इसमें नर्तक नकली घोड़ों पर सवारी करते है। इसका प्रदर्शन सामाजिक एवं व्यावसायिक दोनों तरह से होता है। यह नृत्य दूल्हा पक्ष के बारातियों के मनोरंजन करने के लिए व अन्य खुशी अवसरों पर भी प्रदर्शित किया जाता है।
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सरोद
सरोद भारत के सबसे लोकप्रिय वाद्ययंत्र में से एक है जिसका प्रयोग शास्त्रीय संगीत से लेकर हर तरह के संगीत में किया जाता है।
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कहरवा
कहरवा एक भारतीय ताल है, जिसमें आठ मात्राएँ होती हैं जो ४-४ मात्राओं के दो विभागों में बँटी होती हैं। पहली मात्रा पर ताली और पाँचवी पर खाली होती है। इसका ठेका है :
X २ ३ ४ | ० २ ३ ४
धा गे ना ति | न क धिं न
कहरवा ताल का ताल परिचय –
मात्रा – इस ताल में 8 मात्रा होती हैं ।
विभाग – इस ताल में 4-4 मात्राओ के 2 विभाग होते हैं ।
ताली – इस ताल में पहली मात्रा पर ताली लगती है ।
खाली – इस ताल में 5 वी मात्रा खाली होती है ।
यह ताल फिल्मी गीत ,लोकगीत , भजन में प्रयोग होती है ।
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Bharatanatyam by Janaki Rangarajan
Bharatanatyam by Janaki Rangarajan ~
An invocation to the village deity Mariyamma, using verses from Mariyamman Talattu, set to music by Nandhini Anand, was the opening piece in Janaki Rangarajan's recital here - Haree Fotografie
— with Janaki Rangarajan.
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राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।