तेजस्विनी : ठुमरी की रानी’ गिरिजा देवी
समय के साथ भागता संगीत भले ही ऊंचा और वैविध्यपूर्ण होता जा रहा हो, लेकिन वो उतना ही नकली हो चुका है जितना अब लखनऊ का चिकनकारी वाला कुर्ता. रंग भी है, काम भी है. सजावट भी और वही अर्धपारदर्शी अहसास. लेकिन आत्मा कहीं नहीं है. सब गाने निष्प्राण कंकालों की तरह झूलते नजर आते हैं. जिनपर आप अपने अवसाद और दंभ भुनाने के लिए नाच तो सकते हैं, सुकून नहीं पा सकते.
शख्सियत में गिरिजा देवी
गिरिजा देवी पूरी दुनिया में भारतीय संगीत की जाना-माना चेहरा थीं. गिरिजा देवी की स्वर साधना ने बनारस घराने और भारतीय शास्त्रीय गायन को एक नया आयाम दिया. ठुमरी को बनारस से निकालकर दुनिया के बीच लोकप्रिय बनाने का काम गिरिजा देवी ने ही किया. ध्रुपद से नाद ब्रम्ह की आराधना करते हुए सुरों को साधने वाली गिरिजा देवी श्रोताओं को संगीत के ऐसे समंदर में डूबाती थीं कि सुनने वाला स्वंय को भूल जाता था.
Girija Devi- Glimpses of her Life & Music
Girija Devi- Glimpses of her Life & Music: A short film by Films Division
संतूर वादक पंडित तरुण भट्टाचार्य
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जरुर पाहा: ‘गानसरस्वती’ किशोरी आमोणकर यांची संग्रहित मुलाखत
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राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।